ग्लोबल वार्मिंग भी है, कुत्तों के अक्रामक होने का कारण
तालमेल एक्सप्रेस
प्रयागराज। टैगोर पब्लिक स्कूल के कक्षा आठवीं की दो छात्राओं आख्या मालवीय और राधिका सेठ ने पिछले छ: महीने के अपने लघु शोध पर यह निष्कर्ष निकाला है की, आवारा कुत्ते ग्लोबल वॉर्मिंग की वज़ह और दिनों-दिन बढ़ते तापमान के कारण भी ज्यादा अक्रामक हो रहें हैं। ऐसा अनुभव में पाया गया है की पिछले 2-3 वर्षों से कुत्तों में काटने की प्रवृत्ति और अक्रामकता भी बहुत ज्यादा बढ़ी है। दिनों-दिन इस समस्या के बढ़ने के कारणों की खोज के लिए इन छात्राओं ने अपने मार्ग दर्शक शिक्षक संजय श्रीवास्तव के नेतृत्व में एक लघुशोध किया। जिसके लिए उन्होंने अपने आवास के आस-पास का मुट्ठीगंज, बलुवाघाट, मालवीय नगर और अतरसुइया क्षेत्र को अपने शोध में शामिल किया। इन दोनों छात्राओं ने इन सभी क्षेत्रों के 50-50 ऐसे घरों का सर्वे किया, जिनके घरों में पालतू कुत्ते थे और आम नागरिकों से पूर्व निर्धारित प्रश्नों के माध्यम से आम लोगों से कुत्तों में बढ़ती अक्रामकता के संबंध में विचार जाने। अपने सर्वे में इन छात्राओं ने यह पाया की पालतू कुत्तों की तुलना में आवारा कुत्तों ज्यादा अक्रामक हो रहें हैं। क्योंकी आवारा कुत्तों की जनसंख्या अधिक होने के कारण उनमें भोजन, पानी, रहने और ब्रीडिंग की समस्या की स्पर्धा बनी रहती है। वे अपनी इन आवश्यकताओं के लिए आपस में लड़ते रहते हैं। ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण पृथ्वी का दिनों दिन बढ़ता तापमान भी इनमें बेचैनी उत्पन्न कर रहा है। दरअसल जो पालतू कुत्ते हैं, अपेक्षाकृत उनको इन समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता। क्योंकी कुत्ता पालक उन्हें ज्यादातर सुविधाएं उपलब्ध कराते हैं और इन सब चीजों के लिए उन्हें परेशान नहीं होना पड़ता। यद्यपि अलग अलग नस्ल के कुत्तों के लिए अलग-अलग तापमान की जरुरत होती है। लेकिन आवारा कुत्तों को सर्दी-गर्मी और बरसात की विपरीत परिस्थितियों में भी रहना पड़ता है। आम लोगों के द्वारा न तो इन्हें बहुत कम ही खाने पीने की चीजें उपलब्ध कराई जाती हैं। भूख, प्यास, ब्रीडिंग और रहने की समस्या इनमें अक्रामकता बढ़ा रही हैं। ज्ञातव्य है की जून से नवंबर माह के बीच तेज बहादुर सप्रू, मेडिकल और कालविन अस्पताल में प्रतिदिन 80-100 लोग एंटी रैबीज वैक्सीन लगवाने के लिए आते थे। इन दोनों बाल वैज्ञानिकों ने मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. नानक शरण से मुलाकात कर इन अक्रामक कुत्तों के काटने से होने वाले प्रमुख बीमारी रेबीज़ रोग एवं उनकी चिकित्सा के बारे में जानकारी मांगी। मुख्य चिकित्साधिकारी ने बताया की हर एक कुत्ते के काटने से रैबीज नहीं होता। लेकिन यदि किसी को कुत्ता काट ले तो सुरक्षा की दृष्टि से एंटी रैबीज वैक्सीन जरूर लगवा लेना चाहिए। कुत्तों की बढ़ती जनसंख्या के नियंत्रण के लिए नगर निगम के पशु कल्याण अधिकारी डॉ. बिजय अमृत राज ने बताया की स्थानीय स्तर इसके लिए प्रयास किया जा रहा है। इन शोधर्थियों ने नगर निगम को इस समस्या के निदान के लिए अपने सुझाव भी लिखित रुप से दिये। राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस के प्रदेश स्तर पर होने वाले आयोजन में इन बाल वैज्ञानिकों को अपना शोध पत्र प्रस्तुत करने का मौका मिलेगा। इनकी इस सफलता पर विद्यालय के प्रबंधक डॉ. आर. के. टंडन, प्रधानाचार्या अर्चना तिवारी और वरिष्ठ रसायन शास्त्र शिक्षक एवं मार्गदर्शक संजय श्रीवास्तव ने हार्दिक बधाई दी है।
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