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जेसीबी प्राइज़ फॉर लिटरेचर से किया गया सम्मानित पुस्तक को बारन फरूकी द्वारा अनुवादित और जुगरनॉट द्वारा प्रकाशित किया गया

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Talmel Express

खालिद जावेद की द पैराडाइज़ ऑफ फूड को जेसीबी प्राइज़ फॉर लिटरेचर से किया गया सम्मानित पुस्तक को बारन फरूकी द्वारा अनुवादित और जुगरनॉट द्वारा प्रकाशित किया गया है

नई दिल्ली, 21 नवम्बर, 2022ः खालिद जावेद की ओर से द पैराडाइज़ ऑफ फूड जिसे बारन फरूकी द्वारा अनुवादित और जुगरनॉट द्वारा प्रकाशित किया गया है, को नई दिल्ली के ओबरॉय में 25 लाख के जेसीबी प्राइज़ ऑफ लिटरेचर से सम्मानित किया गया है । विजेता की घोषणा एक हाइब्रिड आयोजन के द्वारा वर्चुअल रूप से जेसीबी के चेयरमैन लोर्ड बैमफोर्ड ने की, जहां विजेता लेखक को जेसीबी इंडिया के चीफ़ ऑपरेटिंग ऑफिसर सुनील खुराना तथा 2022 की जूरी के अध्यक्ष एएस पन्नीरसेलवन द्वारा ट्रॉफी दी गई। द पैराडाइज़ ऑफ फूड एक मध्यम वर्गीय मुस्लिम संयुक्त परिवार की 50 वर्षों की कहानी है, जिसमें लेखक अपने बचपन से बुढ़ापे तक के संघर्ष को बताता है, अपने घर में और घर के बाहर उसके द्वारा किए गए सभी संघर्षों पर रोशनी डालता है।

द पैराडाइज़ ऑफ फूड चौथा अनुवाद है जिसे इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है तथा पहली उर्दू किताब है जिसे पुरस्कृत किया गया है I खालिद जावेद को पुरस्कार ट्रॉफी भी दी गई, जिसे दिल्ली के कलाकारों ठुकराल और टागरा की जोड़ी द्वारा तैयार किया गया है और इसे ‘मिरर मेल्टिंग’ शीर्षक दिया गया है।
पुरस्कार समारोह की शुरूआत पुरस्कार के लिटरेरी डायरेक्टर मीता कपूर के स्वागत सम्बोधन के साथ हुई, जिसके बाद जेसीबी इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर एवं सीईओ श्री दीपक शेट्टी ने सम्बोधन दिया। श्रीराम भारतीय कला केन्द्र से शास्त्रीय नृत्य प्रदर्शन ने दर्शकों को मंत्रमुगध कर दिया।

पुस्तक का चयन पांच जजों के पैनल द्वारा किया गया, जिनमें एएस पन्नीरसेल्वन (जूरी के अध्यक्ष), अमिताभ बागची, डॉ जे देविका, जेनिस परिआत और राखी बलराम शामिल थे। जूरी के सदस्यों ने द पैराडाइज़ ऑफ फूड की खूब सराहना की।
एएस पन्नीरसेल्वन, जूरी के अध्यक्ष ने कहा, ‘‘द पैराडाइज़ ऑफ फूड मानवीय भावना, उम्मीद, नुकसान, महत्वाकांक्षा और चिंता जैसी भावनाओं को दर्शाती है। यह कला की बेहतरीन उपलब्धि हे, जो हमारे देश की राजनैतिक उथल-पुथल पर भी रोशनी डालती है। इसका कार्निवलसेक अवयव इसे आधुनिक रूप देता है। “

जेनिस परिआतः यह दुर्लभ एवं खुबसूरत पुस्तक आकर्षक, भव्य अवयवों को बेहतरीन संयोजन है, जो हाल ही के वर्षों में मानवीयता की दोहरे पहलुओं- खूबसूरती एवं कुरूपता, दयालुता एवं क्रूरता, मूर्खता एवं ज्ञान को दर्शाती है। इसने मुझे रोमांचित, चकित और मंत्रमुग्ध कर दिया।

अमिताभ बागचीः यह विलक्षण एवं दिल को छू जाने वाली पुस्तक मानवीय सभ्यता में मौजूद हिंसा पर रोशनी डालती है। इसकी भाषा खूबसूरत एवं आकर्षक है जो लेखक एवं कुशल अनुवादक की उल्लेखनीय साहित्यिक उपलब्धि है। उर्दु की भव्य साहित्यिक परम्परा को दर्शााने वाली यह पुस्तक भारत एवं विदेशों में पढ़े जाने योग्य है।’’

डॉ जे देविकाः द पैराडाइज़ ऑफ फूड दक्षिण एशियाई देशों में उभरे सभ्यता के संकट को दूर करने वाले शक्तिशाली आईस पिक की तरह है। उर्दु की क्षमता के साथ यह राष्ट्र निर्माण को महत्व देती है, हमारा मानना है कि यह काम अपने आप में बेहदखास और प्रेरित हैं

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