• नाटक “सम्राट अशोक” ने चक्रवर्ती राजा के विभिन्न पहलुओं को उजागर किया
• क्रूर, अहंकारी, महत्वकांक्षी और अंत में बुद्धम शरणम गच्छामि, ऐसा था “सम्राट अशोक”
• “सम्राट अशोक” की यादगार प्रस्तुति के साथ समाप्त हुआ विनोद रस्तोगी स्मृति संस्थान द्वारा आयोजित “नाट्य महोत्सव 2022”
तालमेल एक्सप्रेस
प्रयागराज। सम्राट अशोक के अनछुए पहलुओं को बखूबी उजागर कर गया “दर्पण”, गोरखपुर का नाटक “सम्राट अशोक” जिसका मंचन विनोद रस्तोगी स्मृति संस्थान द्वारा आयोजित चार दिवसीय “नाट्य महोत्सव 2022” के अंतिम दिन किया गया। पद्मश्री दया प्रकाश सिन्हा का सशक्त आलेख इतिहास के उन पन्नों से लिया गया है जिन्हें लोग प्रायः पलट कर आगे बढ़ जाते हैं सम्राट अशोक के क्रूरतम रूप, उसकी महत्वाकांक्षा, उसका अहंकार जो उसे कुरूप बनाते हैं, इसका सविस्तार चित्रण इस नाटक के माध्यम से हुआ और अंत में बुद्ध की शरण में शांति और सुंदरता का अनुभव जीवन के दो पटलों को एक मंच पर प्रस्तुत करता है।
भाग लेने वाले कलाकारों में राहुल सिंह चंदेल, शरद श्रीवास्तव, रविंद्र रंगधर, अंकिता सिंह, रीना जयसवाल, विमलेंदु उपाध्याय, राकेश आर्य, विशाल मिश्रा, रितिका सिंह, सौरभ चौधरी, अनुप्रिया चौहान, चंद्र प्रकाश शर्मा आदि रहें। रंगदीपन अभिषेक दुबे, संगीत संयोजन – कन्हैया श्रीवास्तव, संयुक्त निर्देशक – मनोज शर्मा, निर्देशक – चितरंजन त्रिपाठी एवं प्रस्तुतकर्ता रविशंकर खरे ।
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