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हरी मोहन मालवीय “मालवश्री सम्मान” से सम्मानित

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मालवीय जी का योगदान शिक्षा के क्षेत्र में अद्वितीय था : दीप्ति मिश्रा

तालमेल एक्सप्रेस

प्रयागराज। अखिल भारतीय मालवीय सभा द्वारा भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय का 161 वां जन्मदिन समारोह मालवीय जयंती के रूप में मनाया गया। उक्त समारोह में कुल सचिव रज्जू भैया विश्वविद्यालय प्रयाग दीप्ति मिश्रा मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए मालवीय जी के द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में किए गए कार्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि मालवीय जी ने न केवल वाराणसी में हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की बल्कि इलाहाबाद में अनेक शिक्षण संस्थाओं को स्थापित किया । उनका योगदान शिक्षा के क्षेत्र में अद्वितीय था। विशिष्ट वक्ता वरिष्ठ पत्रकार प्रसार भारती सुनील शुक्ला द्वारा मालवीय जी को विलक्षण बुद्धि वाला एवं निर्भीक पत्रकार बताया गया ।उन्होंने बताया की मालवीय जी एक सच्चे पत्रकार थे, जो बिना किसी डर भय के पत्रकारिता करते थे। कोई भी प्रलोभन उन्हें अपने पद से विचलित नहीं करता था। वह वास्तव में एक महान समाज सेवक एवं युग दृष्टा थे। डॉक्टर शंभू नाथ त्रिपाठी अंशुल जी ने कहा कि मालवीय जी एक प्रकांड पंडित एवं धर्म के प्रति अटूट निष्ठा रखने वाले व्यक्ति थे । वह सभी धर्मों का समान रूप से आदर करते थे। परंतु अपने धर्म कर्म के लिए वह संकल्पित थे। उनका संस्कृत हिंदी अंग्रेजी पर समान रूप से अधिकार था वह सर्ज्ञानी थे। उक्त अवसर पर गणेश केसरवानी जी अध्यक्ष नगर ने मालवीय जी को प्रयागराज का गौरव बताया। हरि मोहन जी बतलाया की गांधी जी जब अफ्रीका से वापस हुए तो उन्होंने सर्वप्रथम मालवीय जी से संपर्क कर स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी सहभागिता हेतु मार्गदर्शन मांगा था। गांधीजी सदैव मालवीय जी का आदर करते थे एवं उनके दिखाएं रास्ते पर चलते थे। बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के चांसलर न्यायमूर्ति गिरधर मालवीय जी के द्वारा मालवीय जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया गया कि उन्होंने सदैव एक संत की तरह समाज की सेवा किया तथा अत्यंत दयालु प्रकृति के व्यक्ति थे वह कभी भी किसी का दुख नहीं देख सकते थे उन्होंने इतने बड़े विश्वविद्यालय का निर्माण कराया परंतु उसका लाभ अपने परिवार के किसी भी व्यक्ति को नहीं उठाने दिया। एक हिंदूवादी नेता की छवि होते हुए भी उनकी स्वीकार्यता मुस्लिम समाज में भी समान रूप से थी। वह अपने धर्म का पालन करते हुए मुस्लिम धर्म , ईसाई धर्म एवं अन्य धर्मों को भी समान रूप से सम्मान देते थे। इसीलिए मुस्लिम समाज में भी उनकी समान स्वीकार्यता थी एवं सभी धर्म के लोग उनके अनुयाई थे। मालवीय जी ने अंग्रेजी की शिक्षा चर्च के पादरी से प्राप्त की थी। कार्यक्रम में राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त हरी मोहन मालवीय को हिंदी के क्षेत्र में किए गए कार्य के लिए “मालवश्री सम्मान” से सम्मानित किया गया । सभा का संचालन आभा दुबे के द्वारा किया गया एवं संस्कृत विद्यालय हरदेव गुरु का पाठशाला द्वारा वेद पाठ के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई। रिचा मालवीय द्वारा सरस्वती वंदना डॉ पूर्णिमा मालवीय द्वारा काव्य पाठ तथा अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम किया गया । उक्त अवसर पर समाज के 13 मेघावी छात्रों को छात्रवृत्ति एवं 6 छात्रों को पुरस्कार प्रदान किया गया। रोहित मालवीय ने अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम में वीरेंद्र मालवीय , विकास मालवीय ,रोहित मालवीय, प्रखर मालवीय, वरिष्ठ पत्रकार अरविंद मालवीय, हरिश्चंद्र मालवीय, गोपाल मालवीय एवं जीतू सारस्वत ने सहभागिता किया तथा कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोग किया।

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