विज्ञान जिज्ञासाओं को निस्तारित करने का शास्त्र और समाधान: संजय श्रीवास्तव
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प्रयागराज। “विज्ञान सीखने की एक सतत प्रक्रिया है। जीवन के इर्द-गिर्द हर पल घटित हो रही गतिविधियां विज्ञान का व्यापक स्वरुप को अपने आप में समाहित किये हुए हैं। विज्ञान जीवन की कोरी कल्पना नहीं है, अपितु विज्ञान ‘कर के सीखने’ की एक कला है। विज्ञान ग्लोबल होने के साथ ही कब, क्यों और कैसे जैसे जिज्ञासाओं को निस्तारित करने का शास्त्र और समाधान है।” युक्त बातें शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर तालमेल एक्सप्रेस हिंदी दैनिक के प्रतिनिधि से वार्तालाप में टैगोर पब्लिक स्कूल के वरिष्ठ शिक्षक एवं रसायन शास्त्र प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने कही। ज्ञातव्य है की ढाई दशकों से विज्ञान के प्रति पूर्ण रुप से समर्पित अपने विद्यार्थियों में ‘सर संजय’ नाम से लोकप्रिय विज्ञान शिक्षक संजय श्रीवास्तव विज्ञान को हर पल जीते हुए न अपने विद्यालय के बल्कि जनपद के विद्यार्थियों में विज्ञान के लोकप्रिय करण के लिए जाने जाते हैं। जिसके लिए भारत सरकार के अधीन राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी और उत्तर प्रदेश सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद एवं विभिन्न सामाजिक और स्वयं सेवी संस्थाओं द्वारा अनेकों बार सम्मानित किया जा चुका है। जिनमें ‘सर्वश्रेष्ठ विज्ञान शिक्षक अवार्ड, विज्ञान सक्रियक सम्मान, एशिया पेसिफिक अवार्ड, पर्यावरण प्रहरी सम्मान और विज्ञान रत्न अवॉर्ड आदि प्रमुख हैं। आपके द्वारा लिखी हुई पर्यावरण संरक्षण पर आधारित दो किताबें ‘ग्रीन कुम्भ ;क्लीन कुम्भ’ और ‘पर्यावरण प्रदूषण के खतरे’ नामक पुस्तके पहले ही प्रकाशित हो चुकी है। जल की गुणवत्ता परखने के लिए आप के द्वारा बनाई गई किट बाल वैज्ञानिकों द्वारा किये जाने वाले प्रायोगिक अध्ययन और परीक्षणों के लिए अत्यंत उपयोगी है। विज्ञान के सिद्धांत को अपनी कक्षा के विद्यार्थियों को ‘लर्निंग बाई डुइंग’ के माध्यम से करने के कारण विद्यार्थियों को समझने में बहुत आसानी होती है। जिसके कारण अपने विद्यार्थियों में वैज्ञानिक चेतना जागृत कर उनमें विज्ञान के प्रति उनकी रुचि को विकसित करने में बहुत हद तक सफल रहें हैं। संजय श्रीवास्तव के निर्देशन में विगत पच्चीस वर्षों में लगभग पंद्रह सौ बाल वैज्ञानिकों ने विज्ञान की विभिन्न प्रोजेक्ट प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग किया है। जिसमें लगभग बीस बाल वैज्ञानिकों ने राष्ट्रीय स्तर पर सफलता पाकर उत्तर प्रदेश, केरल, राजस्थान, महाराष्ट्र, उड़ीसा और गुजरात आदि विभिन्न राज्यों में अपनी सफलता का परचम लहराया है। राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी और राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस रिसोर्स पर्सन के रुप में विभिन्न विषयों पर अपने लोकप्रिय व्याख्यान और खाद्य पदार्थों में मिलावट की जांच व जल की गुणवत्ता की विज्ञान किट द्वारा जांच के लिए जाने जाते है। जिससे जनपद और प्रदेश के जिलों के बाल वैज्ञानिक लाभांवित हो रहे हैं।
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