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हिंदुस्तान की शान है हिंदी अभिव्यक्त मन का मान है हिंदी

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(हिंदी दिवस के अवसर पर ‘राष्ट्र निर्माण और हिंदी’ पर विचार गोष्ठी एवं कवि सम्मेलन का आयोजन) नेहरू ग्राम भारती मानित विश्वविद्यालय में हिंदी दिवस के अवसर पर 'राष्ट्र निर्माण और हिंदी' पर विचार गोष्ठी एवं कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर शैलेंद्र मधुर ने अपने काव्य-पाठ में कहा कि 'यह भी अपना है वह भी अपना है, फर्क दोनों का बस इतना समझना है। तू हकीकत है मेरी जिंदगी में चाँद तारा ताे एक सपना है।' साथ ही, 'हाेंठ खामोशी से पथराव भी कर सकते हैं, लोग अल्फाज की एक चोट से मर सकते हैं।' कवि नजर इलाहाबादी ने कहा कि वह घर-घर नहीं जहाँ बिटिया नहीं होती।' राधा शुक्ला ने अपने कविता-पाठ में कहा 'हिंदुस्तान की शान है हिंदी अभिव्यक्त मन की मान है हिंदी।'

डॉ. आभा श्रीवास्तव ने कहा- सूर मीरा के पद लिखती हूँ, मैं तुलसीदास लिखती हूँ।’
कवि योगेश झमाझम ने अपने काव्य-पाठ ‘चलते रहे तो चलते-चलते कुछ ना कुछ कर जाओगे, बैठ गए तो बैठे-बैठे जिंदा ही मर जाओगे।”
वंदना शुक्ला ने कहा- ‘भाई का रक्षाबंधन हो बाप का हो अरमान, पढ़ो खूब, उड़ाे खूब तुम पॉव पर रख कर ध्यान।’
कवयित्री नीलम शर्मा ने काव्य-पाठ किया- ‘फूल की कलम से मैं खंजर को काटती हूं।’ कार्यक्रम में निबंध व काव्य-पाठ प्रतियोगिता में विजयी प्रतिभागियों काे प्रमाण-पत्र व स्मृति-चिन्ह प्रदान किया गया। संचालन डॉ. हिमांशु शेखर सिंह ने तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ ममता मिश्रा ने किया। इस अवसर पर कुलपति प्रो. रोहित रमेश, प्रति कुलपति डॉ. एस.सी. तिवारी, कुलसचिव श्री आर.एल. विश्वकर्मा माैजूद रहे। कार्यक्रम में शिक्षकाें सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।

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