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हिन्दी की स्थिति निरंतर हाे रही सुदृढ़ : प्राे. त्रिपाठी

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एनजीबीयू में हिन्दी दिवस समारोह आयाेजित

तालमेल एक्सप्रेस

प्रयागराज। नेहरू ग्राम भारती मानित विश्वविद्यालय में 14 सितम्बर 2022 को हिन्दी दिवस के अवसर पर “हिन्दी का वैश्विक प्रसार “चुनौतियॉं और सम्भावनाएँ” विषय पर एक विचार गाेष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए डा. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर, मध्यप्रदेश के हिन्दी विभाग के आचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि हिन्दी भाषा की स्वीकृति हर जगह तेजी से बढ़ती जा रही है। सोशल मीडिया से लेकर इण्टरनेट के माध्यम द्वारा इसका तेजी से प्रसार हो रहा है। वर्तमान में हिन्दी की स्थिति बहुत सुदृढ़ है। हिन्दी हमारे बनाने से नहीं, बल्कि इसकी प्रकृति इतनी लचिली है कि वह लोगों काे जोड़ने का कार्य कर रही है। हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापित करने के लिए राजनैतिक अड़चनें हैं। सभी हिन्दी प्रेमियों को इस सम्बन्ध में मिलकर प्रयास करना चाहिए। राष्ट्रभाषा के सम्बन्ध में यह भी ध्यान रखना चाहिए कि हिन्दी ‘कुछ भी हो जाए’ की शर्त पर राष्ट्रभाष नहीं बनेगी, बल्कि सम्मिलित सहमति से इसे राष्ट्रभाषा का दर्जा मिलना चाहिए। प्रो. त्रिपाठी ने अपने सम्बोधन में आगे कहा कि भाषा का बाजार के कारण बाजारीकरण हो रहा है। भाषा का बाजारीकरण और सोशल मीडिया के कारण जो स्वरूप है, उसमें हिन्दी भाषा की लिपि आज खतरे में है। इस अवसर पर कुलाधिपति जे. एन. मिश्र ने सभी को बधाई देते हुए हिन्दी की निरन्तर उन्नति और प्रगति की कामना की।
कार्यक्रम में प्रति कुलपति डा. एस.सी तिवारी ने अपने सम्बाेधन में कहा कि हिन्दी को यदि हिन्दी सेवी आगे बढाना चाहते हैं, तो विज्ञान में हिन्दी के कठिन शब्दों की जगह सरल शब्दों का समावेश करना चाहिए। हिन्दी भाषा में लिखे शोध-पत्र स्कोपस जैसी अन्तर्राष्ट्रीय शोध-पत्रिकाओं में भी छप सकें। हिन्दी को उन्नत करने के लिए साहित्य को भी उत्कृष्ट करना चाहिए। न्यायालयाें में जिरह व उनके निर्णयाें में भी हिन्दी भाषा को बढ़ावा देना चाहिए। राष्ट्रभाषा माँगने से नहीं, बल्कि भाषा की उन्नति से प्राप्त होगा। कार्यक्रम में डा. मंजू शुक्ला एवं डा. राजीव वर्मा ने भी अपने वक्तव्य दिए। स्वागत भाषण हिन्दी विभागाध्यक्ष डा ममता मिश्रा ने किया। कार्यक्रम की रूपरेखा डा. हिमांशु शेखर सिंह ने प्रस्तुत की। संचालन डा. सव्यसाची ने तथा धन्यावाद ज्ञापन डा. विष्णु प्रसाद शुक्ला ने किया। इस अवसर पर प्रो. आर.सी त्रिपाठी, डा. रूद्र प्रकाश ओझा, डा. प्रमोद मिश्र, डा. प्रबुद्ध मिश्र, डा. देव नारायण पाठक सहित वि.वि.के शोधछात्र एवं हिन्दी विभाग के शिक्षक व छात्र-छात्राएँ मौजूद रहे।

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