तालमेल एक्सप्रेस
प्रयागराज। जिलाधिकारी संजय कुमार खत्री ने संगम सभागार के ऊपर डेंगू एवं संचारी रोग नियंत्रण के लिए बनाये गए नियंत्रण कक्ष(कंट्रोल रूम) का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने प्रत्येक दो घण्टे पर प्लेटलेट्स की उपलब्धता की जानकारी ली तथा उन्होंने सभी ब्लड बैंक में कितनी प्लेटलेट्स की उपलब्धता है एवं गम्भीर मरीजों की प्लेटलेट्स तथा कुल कितने टेस्ट किए गये है, की जानकारी ली। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में डेंगू के कितने मरीज भर्ती है, उनकी क्या स्थिति है तथा नगर निगम द्वारा किन-किन क्षेत्रों में छिड़काव किया गया है कि जानकारी नियंत्रण कक्ष से लिया। उन्होंने नियंत्रण कक्ष प्रभारी को हर 2 घण्टे पर रिपोर्ट प्रेषित किए जाने के निर्देश दिए है। जिलाधिकारी ने प्रतिदिन कितने स्कूलों में फागिंग किया गया है, इसकी रिपोर्ट जिला विद्यालय निरीक्षक एवं बेसिक शिक्षा अधिकारी को उपलब्ध कराने के लिए कहा है तथा सरकारी आफिसों में कहां-कहां फागिंग हुआ है, इसकी रिपोर्ट प्रतिदिन नगर निगम को एकत्र करने के निर्देश दिए है। उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों में डेंगू के ज्यादा मरीज आ रहे है, उन क्षेत्रों की किसी सक्षम अधिकारी द्वारा निरंतर मानीटरिंग करने के लिए कहा है। शहरी क्षेत्रों में जहां पर भी ब्लड बैंक है, वहां पर अपने-अपने क्षेत्रों के अपर नगर मजिस्ट्रेटों के द्वारा पर्यवेक्षण किया जायेगा।
इसके साथ ही जिलाधिकारी संजय कुमार खत्री ने डेंगू के प्रभाव के दृष्टिगत आमजनमानस से सावधानी बरतने की अपील करते हुए कहा है कि डेंगू से घबड़ाएं न और बुखार आने पर तत्काल चिकित्सक से सम्पर्क करें। उन्होंने कहा है कि डेंगू बुखार के सामान्य लक्षण हैः- तेज बुखार, तेज बदन दर्द, सिर दर्द, जोड़ों में दर्द, आंख में दर्द तथा शरीर पर दाने का पाया जाना है। इस रोग से ग्रसित गम्भीर रोगियों में उपरोक्त सामान्य लक्षणों के अलावा दांत से मुंह से, नाक से, खून की शिकायत हो जाती है। डेंगू बुखार के वाहक, इसका वाहक एडीज एजिप्टी मच्छर है। यह साफ पानी में पैदा होता है, यह मच्छर दिन में काटता है। इसके बचाव हेतु उपाय वर्तमान संचरण काल में आम जन मानस को बुखार होने पर तत्काल नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र पर जाए। सिर, हाथ-पांव एवं पेट पर पानी की पट्टी रखें। बुखार के समय पानी एवं तरल पदार्थों जैसे-नारियल पानी, शिकंजी, ताजे फलों का रस इत्यादि का अधिक सेवन करें। हल्के सूती वस्त्र पहनें तथा कमरें को ठंडा रखें। झोलाछाप चिकित्सकों से बचें। बिना चिकित्सक की सलाह के अनावश्यक औषधियों का सेवन न करें। मरीज को मच्छरदानी में रखें। घर में या घर के आस-पास कूलर, गमलों, टूटे-फूटे बर्तनों, टायरों इत्यादि में पानी जमा न होने दें। मच्छरों से बचाव हेतु क्वायल, आल आउट इत्यादि का प्रयोग करें। बिना चिकित्सकीय सलाह के दर्द निवारक एवं एण्टीबायोटिक औषधियों का सेवन न करें।