आरबीएसके : छह माह में 5687 बच्चे हुए लाभान्वित

• अब दीप भी सुन सकेगा माँ की आवाज
• विनय की मुस्कान देख खिलता है माँ का चेहरा
• यह संभव हो रहा है आरबीएसके कार्यक्रम से

कौशाम्बी :राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के अंतर्गत परिवारों में लौट रही खुशियां। आरबीएसके टीम जनपद में जन्मजात विकृति वाले बच्चों को चिन्हित करती है। ऐसे बच्चों को चिन्हित कर उनका निःशुल्क ईलाज किया जाता है। यह कहना है डॉ हिमांशु भूषण का।नोडल अधिकारी डॉ हिमांशु भूषण ने बताया कि डब्लूएचओ के अनुसार 1000 में से 6-7 बच्चे जन्म संबंधी विकार से ग्रस्त होते हैं। नवजात में 10 फीसद बच्चों की मृत्यु इस कारण से होती है। सरकारी संस्थानों में प्रसव के बाद जांच का प्रावधान है। इसके लिए सीएचसी, पीएचसी में जन्म उपरांत आरबीएसके टीम परीक्षण करती है। इसके अलावा जन्म के छह सप्ताह तक के बच्चों की आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर जांच करती हैं। छह सप्ताह से छह वर्ष तक के बच्चों के लिए आरबीएसके टीम व स्वास्थ्य टीम आंगनबाड़ी केंद्रों में पहुंच कर जांच करती है। छह वर्ष से 18 वर्ष तक के बच्चों के लिए यही टीम सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों में जांच करती है। अवधेश बहादुर मौर्य, डीईआईसी मैनेजर ने बताया कि नवजात शिशुओं में जन्मजात विकार व सामान्य बीमारी में भी समय से इलाज की सुविधा देना ही राष्ट्रीय स्वास्थ्य बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम का उद्देश्य है | नवजात के जन्म से लेकर 19 वर्ष तक के बालक बालिकाओं के लिए योजना बनाई गयी हैं | उन्होंने बताया कि अप्रैल 2022 से सितम्बर 2022 तक 75450 बच्चो का आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से परिक्षण किया गया। इसमें से 3012 बच्चों को राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम में सुविधा के लिए रिफर किया गया वही स्कूलों के माध्यम से 88864 बच्चो का परिक्षण किया गया। इसमें से 3710 बच्चो को राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम में सुविधा के लिए रिफर किया गया | कुल 6722 बच्चे रिफर किये गए। इसमें 5687 ने योजना का लाभ लिया |
केस 1- दीप चंद उम्र 4 वर्ष पिता नथ्थू लाल ने बताया कि उनके तीन बेटे हैं। दीप चंद दूसरे नंबर का बेटा है। इसे जन्म से सुनाई नहीं देता था। जब पता चला तो कई प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराया लेकिन कुछ फायदा नहीं हुआ और जब पता चला कि अब आपरेशन के बाद ही बच्चे को सुनाई देगा तो इलाज के पैसे भी नहीं थे तभी हमारे ब्लाक के राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के डॉ साहब से जानकारी के बाद उसका आपरेशन कानपुर के मल्होत्रा ईएनटी अस्पताल में बिलकुल मुफ्त हुआ और और अब स्पीच थेरेपी भी फ्री हो रही हैं | अब मेरा बेटा दीप पापा माँ जैसे शब्द बोलता हैं और सुनता भी हैं |

केस 2- विनय पुत्र हरी प्रसाद उम्र 2 वर्ष का जन्म से ही होंठ कटा था। वर्ष में 2021 में आशा ने गृह भ्रमण के दौरान चिन्हित किया था। इसके बाद उसका राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत उपचार शुरू हुआ। सर्जरी स्माइल ट्रेन कार्यक्रम के तहत वात्सल्य हॉस्पिटल में सर्जरी हुई । विनय अब सामान्य बच्चों की तरह खा पी रहा है।

नवजात की इन रोगों कि जाँच एवं सेवाएँ
बाल स्वास्थ्य परीक्षण और प्रारंभिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए चयनित स्थितियां
जन्म दोष

  1. न्यूरल ट्यूब की खराबी
  2. डाउनसिंड्रोम
  3. फटा होठ एवं तालू/सिर्फ़ फटा तालू
  4. मुद्गरपाद (अंदर की ओर मुड़ी हुई पैर की अंगुलियां)
  5. असामान्य आकार का कुल्हा
  6. जन्मजात मोतियाबिंद
  7. जन्मजात बहरापन
  8. जन्मजात हृदयरोग
  9. असामयिक दृष्टिपटल विकार (जन्म के समय की खामी नहीं, लेकिन बाद में खुद हो सकता है) कमियां
  10. रक्ताल्पता, विशेषकर गंभीर रक्ताल्पता
  11. विटामिन ए की कमी (बीटॉट स्पॉट)
  12. विटामिन डी की कमी (रिकेट्स)
  13. गंभीर तीक्ष्ण कुपोषण
  14. घेघा बाल्यावस्था की बीमारियां
  15. त्वचा की बीमारी (खुजली, फफूदीय संक्रमण एवं एक्जिमा)
  16. मध्यकर्णशोथ
  17. आमवाती हृदयरोग
  18. प्रतिक्रियाशील हवा से होने वाली बीमारियां
  19. दंत क्षय
  20. ऐंठन विकार विकासात्मक विलंब एवं अशक्तता
  21. दृष्टि क्षीणता
  22. श्रवण दुर्बलता
  23. न्यूरोमोटर की खराबी
  24. मोटर विकास का विलंब
  25. ज्ञानबोध का विलंब
  26. भाषा विलंब
  27. व्यवहारगत विसंगति (स्वलीनता)
  28. सीखने का क्रमभंग
  29. ध्यान की कमी, अतिक्रियाशील होने का विकार
  30. अन्य: जन्मजात अल्पक्रियता, सिकल सेल की रक्ताल्पता, बीटा थैलेसीमिया