तालमेल एक्सप्रेस
वाराणसी। राष्ट्रीय डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक एनडीडीबी डेयरी सर्विसेज ने आईडीएफ वर्ल्ड डेयरी समिट 2022 में पायलट परियोजना का अनावरण विशेषज्ञों के सामने किया जिसमे डेयरी किसानों की मांग को ध्यान में रखते हुए अच्छे चारे की फसल, मधुमक्खी पालन और शहद को अतिरिक्त आय के लिए प्रतिफल के रूप में करने की जरुरत पर जोर दिया गया।
एनडीडीबी डेयरी सर्विसेज (एनडीएस) के सुपीरियर एनिमल जेनेटिक्स (एसएजी) के तहत एनिमल ब्रीडिंग रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (एबीआरओ) के प्रमुख डॉ. नीरव पटेल ने कहा, “अपने पायलट प्रोजेक्ट के माध्यम से हम राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन मिशन के साथ शहद मिशन को भी बढ़ाने की मांग कर रहे हैं, जो कि किसान की अतिरिक्त आय के लिए प्रधानमंत्री के लक्ष्य के अनुरूप है।
चार प्रकार के शहद अजवायन, इउकलीप्टस, वाइल्ड फारेस्ट और सरसों को प्रस्तुत करते हुए डॉ. पटेल ने कहा कि पोलिनेशन के लिए मधुमक्खियां सबसे अच्छी होती हैं और प्राकृतिक प्रक्रिया की तुलना में बहुत अधिक प्रभावी भी होती हैं और इनसे ज्वार, बाजरा और मक्का जैसी चारा फसलों के विकास में मदद मिलती है। उन्होंने कहा कि यह वैज्ञानिक तरीके से किसानों को न केवल उनके पशुओं के लिए अच्छी गुणवत्ता वाला चारा बल्कि मानव उपयोग के लिए शहद भी बनाना चाहिए।
हमारे पारिस्थितिकी तंत्र में मधुमक्खियों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, महान भौतिक विज्ञानी अल्बर्ट आइंस्टीन ने एक बार कहा था, “यदि मधुमक्खी दुनिया की सतह से गायब हो जाती है, तो मनुष्य के पास जीवन के केवल चार वर्ष बचेंगे। अगर मधुमक्खियाँ अधिक न होगी तो, न अधिक पोलीनेशन होगा, न अधिक पौधे होंगे, न अधिक पशु होंगे और न अधिक मनुष्य होंगे।”
राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन की घोषणा केंद्र सरकार ने 2020 में आत्मनिर्भर भारत पैकेज के हिस्से के रूप में कर दी थी। यह योजना राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन बोर्ड द्वारा लागू की गई थी।
डॉ. पटेल ने कहा, एनडीडीबी ने पहले ही किसानों को शिक्षित करने के लिए एक अभियान शुरू किया है और यह परियोजना देश के 8 करोड़ डेयरी किसानों को दोगुना लाभ सुनिश्चित करने का रास्ता दिखाएगा।