तालमेल एक्सप्रेस
प्रयागराज। “राजभाषा संवर्धन के विविध आयाम” विषयक संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के तौर पर बोलते हुए मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के प्रयुक्त अभियांत्रिकी विभाग के प्रोफेसर आर.पी. तिवारी ने मातृभाषा के प्रश्न को उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा से जोड़ा। उन्होंने कहा की अंतरराष्ट्रीय तकनीकी शब्दावली का निर्माण भारतीय भाषाओं की प्रकृति के अनुरूप भी हो सकता है। आज भारतीय भाषाओं में गुणात्मक परिवर्तन के लिए तकनीकि विदों, भाषा वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों के सामंजस्यपूर्ण पहल की आवश्यकता है। विशिष्ट वक्ता के तौर पर बोलते हुए डॉ. विवेक निगम ने कहा की हिन्दी भाषा का इतिहास संघर्षपूर्ण भले ही रहा हो लेकिन उसका भविष्य उज्जवल है। उन्होंने कहा कि न्यायिक कार्य भी हिन्दी में हो तो जनमानस को अधिक सुविधा हो सकेगी। विशिष्ट वक्ता के तौर पर बोलते हुए डॉ. उमेश प्रताप सिंह ने कहा कि हिन्दी माध्यम का विद्यार्थी कई बार हीन ग्रंथि का शिकार रहता है, उसे अंग्रेजी माध्यम के दबाव में नहीं आना चाहिए। जिस भाषा में उसकी उत्कृष्ट अभिव्यक्ति हो सके उसी में अभिव्यक्ति की जानी चाहिए तभी सच्चा अकादमिक विकास संभव है। संगोष्ठी में धन्यवाद ज्ञापन इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संयुक्त कुल सचिव मेजर हर्ष कुमार ने किया जबकि संचालन हिन्दी विभाग के डॉ. राजेश कुमार गर्ग ने किया। उक्त संगोष्ठी मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, भारतीय भाषा मंच और इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की गई थी। अतिथियों का स्वागत डॉक्टर कृपा किंजलकम ने पुष्पगुच्छ प्रदान करके किया। इस अवसर पर अनेक विभागों के प्राध्यापक वृंद, महाविद्यालयों के प्राध्यापक वृंद और शोध छात्र गण उपस्थित रहे।