नई दिल्ली। राजनीति का मतलब पद,सत्ता या अपना प्रभाव कायम करना ही नही है, मेरे लिए असल राजनीति है कि अगर मैं अपने काम से चंद मुरझाए चेहरों की रौनक वापस लौटा सकूं। उन्हे उनकी जरूरतों को पूरा करने में मदद कर सकूं। अगर कोई बच्चा किसी वजह से स्कूल नही जा पा रहा है तो उसकी पढ़ाई का इंतजाम करवा सकूं। महिलाओं,बच्चियों की अनकही समस्याओं पर काम करूं। पिछले कुछ सालो में राजनीति मेरे लिए इन्ही सरोकारों से जुड़ी हुई है। भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा दिल्ली प्रदेश की उपाध्यक्ष और संगिनी सहेली संस्था की प्रमुख प्रियल भारद्वाज ने एक खास बातचीत में यह विचार व्यक्त किए।
तालमेल एक्सप्रेस संवाददाता से खास बातचीत में अपने राजनीतिक मिशन और भविष्य की रणनीति पर प्रियल ने खुलकर बात की। प्रियल ने राजनीतिक पारी की शुरुआत से जुड़े सवाल पर कहा कि मैं सफल फैशन डिजाइनर के रूप में पहचान बना रही थी। मेरा काम अच्छा चल रहा था। लेकिन हमेशा मन में भाव बना रहता था कि क्या पैसे कमाना और अपनी खुशियों को पूरा करना ही हमारा मकसद है? जब भी किसी वंचित,कमजोर तबके के व्यक्ति, या अपने अधिकारों को हासिल करने की जद्दोजहद में जुटी महिलाओं को देखती थी, हमेशा मन में ये भावना बनी रहती थी कि मैं इनके लिए कुछ करूं। मैं यदा कदा जब भी काम के बीच में मौका मिलता सामाजिक कार्यक्रमों से जुड़ने लगी। प्रियल ने कहा कि मैं सौभाग्यशाली हूं कि मुझे शुरुआत में आरएसएस के सेवा प्रकल्प से जुड़ने का मौका मिला। आरएसएस वास्तव में मेरे राजनीतिक मिशन के शुरुआत की पाठशाला है। जहां से मैने बहुत कुछ सीखा। किस तरह से आप खुद को भूलकर राष्ट्र प्रथम की भावना को समाहित करके आगे बढ़ सकते हैं। कैसे समाज को अपना परिवार मानकर उनके सुख दुख का हिस्सा बन सकते हैं और उनकी आवाज बन सकते हैं।
प्रियल ने कहा कि संघ के बारे में हमेशा महिला विरोधी होने की भावना विरोधियों द्वारा फैलाई जाती है, लेकिन यह मिथक प्रचार करने वाले वास्तव में आरएसएस को नही जानते। हजारों महिलाए किस तरह से आरएसएस के विभिन्न सेवा प्रकल्प से जुड़कर महिलाओं,बच्चो,कमजोर लोगों के लिए काम कर रही हैं यह बहुत से लोगों को इसलिए नही पता क्योंकि आरएसएस ने कभी अनावश्यक प्रचार को अपना साधन नही बनाया। लेकिन मुझ जैसी राजनीतिक कार्यकर्ता इसका उदाहरण हैं।
एक सवाल के जवाब में प्रियल ने बताया कि आरएसएस की पाठशाला में शिक्षित होकर वे मेन स्ट्रीम मुख्य धारा की राजनीति में आईं। उन्होंने कहा, मेरे मातृ संगठन भाजपा में मुझे विभिन्न पदों पर रहकर सेवा का काम करने का मौका मिला। यह अभियान भी निरंतर जारी है।प्रियल ने कहा, पिछले आठ नौ साल में जब से मोदी सरकार आई है, पार्टी में काम करने का अभियान भी बहुत अद्भुत रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने सत्ता का मतलब ही बदल दिया। उन्होंने खुद को प्रधान सेवक मानकर जिस तरह से गरीबों,वंचितों,कमजोर लोगों की सेवा को सरकार का प्रमुख एजेंडा बनाया है, उसी का परिणाम है कि पार्टी का लगातार विस्तार हो रहा है और हम जैसे साधारण कार्यकर्ता भी गर्व का अनुभव करते हैं।प्रियल ने कहा, एक राजनीतिज्ञ की छवि जिस तरह से बिगड़ रही थी, अच्छे लोग राजनीति से दूरी बना रहे थे। सत्ता का मतलब यूपीए शासन में केवल लूट बन गया था। इन सभी धारणाओं को तोड़ते हुए मोदी जी ने हम जैसे राजनीतिक कार्यकर्ता को मौका दिया कि हम किस तरह ईमानदारी से सेवा को अपना मिशन बना सकते हैं। गरीबों,जरूरतमंद लोगों की सेवा कर सकते हैं।
प्रियल ने कहा, दिल्ली प्रदेश महिला मोर्चा के उपाध्यक्ष के तौर पर मुझे अपने अध्यक्ष के नेतृत्व में काफी कुछ काम करने को मिला है। साथ ही संगिनी सहेली संस्था के माध्यम से मैने कई महत्वपूर्ण काम शुरू किए। उन्होंने अपने सेवा अभियान की जानकारी साझा करते हुए कई अनुभव साझा किए।प्रियल ने बताया कि महिलाओ और खासतौर पर लड़कियों के मन में माहवारी को लेकर एक तरह का झिझक,संकोच बना रहता था। कई लड़किया अपना स्कूल छोड़ देती थी। किसी के लिए यह किसी अपराध बोध जैसा था। इसपर कोई बात नही करता था। मैने इसे अपना एजेंडा बनाया। झिझक को तोड़ने के लिए चर्चा शुरू की। स्वच्छता और स्वास्थ्य की दृष्टि से मुफ्त सैनिटरी पैड बांटने का बड़ा अभियान शुरू किया। आज ये मिशन बड़ा आकार ले चुका है। हजारों लड़कियां इससे जुड़ी हैं। वे खुद अब दूसरी लड़कियों को समझाती हैं कि ये संकोच का विषय नहीं है बल्कि इसके साथ वे अपना काम कर सकती है। अपने स्वास्थय और स्वच्छता का ख्याल रख सकती हैं। संगिनी सहेली संस्था आज उनकी ताकत है।
इसी तरह महिला शिक्षा के लिए मथुरा में 114 वर्ष पुराने स्कूल का कायाकल्प करने का बीड़ा हमने उठाया। मुझे खुशी है यह संकल्प भी पूरा हुआ। सभी को जाकर देखना चाहिए कि अगर संकल्प हो तो सिद्धि कैसे मिलती है।प्रियल ने कहा, यह सब हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा है कि हम जैसे कार्यकर्ता बड़े बड़े सपनो को पूरा करने का माध्यम बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि कई ऐसे काम हैं जो बिना प्रचार के चल रहे हैं। राजनीतिक जिम्मेदारी पर एक सवाल के जवाब में प्रियल ने कहा, मैने पहले ही कहा सामाजिक सरोकार ही मेरे लिए राजनीति है। इसके साथ पार्टी के सभी अभियान कार्यक्रम,जिम्मेदारी को पूरी ईमानदारी से निभाती हूं। यूपी के विधानसभा चुनाव, एमसीडी चुनाव में जहां भी पार्टी ने जिम्मेदारी दी हमने लगातार पूरी मेहनत से काम किया। परिवार और राजनीति में तालमेल के सवाल के जवाब में प्रियल ने कहा, मुझे खुशी है कि मेरा परिवार हर कदम पर मेरे साथ रहा है। आप वास्तव में इतना सबकुछ तालमेल के साथ अगर करना चाहते हैं तो परिवार का त्याग भी इसमें शामिल होता है। सब अपने अपने हिस्से का वक्त समाज के लिए देते हैं। कहने का मतलब जिस वक्त मुझे उनके साथ होना चाहिए अगर मैं कहीं और हूं तो ये उनका भी योगदान है।एक अन्य सवाल पर प्रियल ने कहा कई लोग पूछते है भविष्य के बारे में क्या सोचा है। मैं कहती हूं कि अगर पद के हिसाब से सवाल है तो मुझे नही पता। हां सेवा और समर्पण में कोई चूक नहीं होगी। यह मिशन बढ़ता रहेगा। यही संकल्प है। बाकी पद और जिम्मेदारी संगठन तय करता है। जब जो भी जिम्मेदारी मिलेगी वह काम ईमानदारी से करने का प्रयास करूंगी।