विनोद रस्तोगी स्मृति संस्थान द्वारा आयोजित 14 दिवसीय “ग्रीष्मकालीन रंगमंच कार्यशाला” का समापन महाराष्ट्र लोक सेवा मण्डल, अलोपीबाग के प्रांगण में रविवार को हुआ। मुख्य अतिथि श्रीमती कल्पना सहाय ने, जो स्वयं एक वरिष्ठ रंगकर्मी हैं तथा उत्तर मध्य क्षेत्र, सांस्कृतिक केंद्र की पूर्व कार्यक्रम अधिकारी हैं, संस्थान के कार्यक्रमों की प्रशंसा की और कहा कि रंगमंच व्यक्तित्व विकास की कुंजी है।
मुख्य अतिथि ने इस अवसर पर प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र वितरित किये और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
यह कार्यशाला डॉ. मुकेश उपाध्याय (सहायक प्रोफेसर, परफॉर्मिंग आर्ट्स, हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय, महेंद्रगढ़), श्री अरुण श्रीवास्तव (शोधकर्ता, रंगमंच कला, नाट्य विभाग, राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर), एवं मंच रंगदीपन विशेषज्ञ श्री सुजॉय घोषाल के कुशल मार्गदर्शन में संचालित हुई।
यह कार्यशाला निःशुल्क आयोजित की गयी अतः प्रतिभागियों से किसी भी तरह का आवेदन शुल्क नही लिया गया।
इस 14 दिवसीय कार्यशाला में युवाओं को पश्चिमी रंगमंच, प्रकाश परिकल्पना, दृश्य काव्य, नाट्यशास्त्र के अनुसार अभिनय, प्राचीन एवं आधुनिक भारतीय रंगमंच, पश्चिमी परिप्रेक्ष्य से अभिनय प्रशिक्षण पद्धतियां (स्टैनिस्लावस्की, चेखव, मीसनर, जूलिया कैमरून व यूजेनियो बारबा के कार्य) पर प्रकाश डाला गया। इसके अलावा योग व रंगमंचीय खेल अभ्यास भी कराया गया। कार्यक्रम समाप्ति पर संस्था के उपाध्यक्ष अजय मुखर्जी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। यह जानकारी संस्था के सचिव आलोक रस्तोगी ने दी।