कला समीक्षा: ‘रंगिनी’ : रंगों और भावों का स्त्री स्वरूप


आशीमा मेहरोत्रा और एम. सारदा
नई दिल्ली स्थित सिविल सर्विसेज ऑफिसर्स इंस्टीट्यूट में आयोजित सामूहिक कला प्रदर्शनी ‘रंगिनी’ कला प्रेमियों के लिए एक अद्भुत अनुभव लेकर आई है। इस प्रदर्शनी में प्रख्यात दृश्य कलाकार आशीमा मेहरोत्रा और एम. सरदा की कृतियाँ प्रदर्शित की गई हैं, जिनमें दो विपरीत लेकिन सशक्त कलाभाषाएँ एक साथ संवाद करती दिखाई देती हैं।
‘रंगिनी’ नाम ही अपने आप में रंग और अभिव्यक्ति के स्त्री स्वरूप का प्रतीक है। यह प्रदर्शनी अमूर्तन और रूपक के बीच पसरे भावनात्मक और सांकेतिक परिदृश्य को नए आयामों में खोजती है। आशीमा मेहरोत्रा की एनकॉस्टिक कृतियाँ वेदांत और दार्शनिक चिंतन में निहित आध्यात्मिक आत्मविश्लेषण और ब्रह्मांडीय मौन का बोध कराती हैं, वहीं सरदा की जीवंत कैनवस पेंटिंग्स सहज लय, भौतिक समृद्धि और अभिव्यक्ति की स्वच्छंदता को उजागर करती हैं।
रंगिनी’ प्रदर्शनी में प्रस्तुत कृतियों ने दर्शकों को गहराई से प्रभावित किया। आशीमा मेहरोत्रा की “विभत्स” और “दहलीज़” जैसी पेंटिंग्स ने अपने दार्शनिक और भावनात्मक आयामों से आत्ममंथन के क्षण प्रदान किए, वहीं एम. सारदा की “गोल्डन माउंटेन्स” और “अर्धनारीश्वर” जैसी रचनाओं ने रंगों की समृद्धि और प्रतीकों की सजीवता से दर्शकों को मोहित कर लिया।
इन दोनों कलाकारों की कलाभाषाओं का संगम दर्शकों को एक अनोखा अनुभव देता है। जहाँ भिन्नता में भी सामंजस्य है और रूपों की तरलता में भी गहन सौंदर्य छिपा है। ‘रंगिनी’ सिर्फ एक प्रदर्शनी नहीं, बल्कि यह रंगों और भावों के जरिए आत्मा और प्रकृति के बीच सेतु का कार्य करती है।
नई कलाभाषाओं और बहुआयामी दृष्टिकोणों को समझने के इच्छुक कला प्रेमियों के लिए यह प्रदर्शनी निस्संदेह एक उल्लेखनीय अवसर है।

कलाकार परिचय:
आशीमा मेहरोत्रा एक प्रशासनिक सेवा अधिकारी हैं, जिन्होंने बचपन से ही कला को आत्म-अभिव्यक्ति का माध्यम बनाया है। उन्होंने पाँच वर्ष की आयु में चित्रकारी आरंभ की और शब्दों के पहले रंगों से संवाद करना सीखा। वहीं एम. सारदा एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड इन सुप्रीम कोर्ट हैं, जिन्हें बचपन से ही कला में रुचि होने की वजह से विविध अभिव्यक्तियों और जीवन की परिस्थितियों से प्रेरित रंगों को कैनवास पर उकेरना शुरु कर दिया।
कला प्रदर्शनी ‘रंगिनी’ की मेज़बानी चाणक्यपुरी स्थित सिविल सर्विसेज़ ऑफ़िसर्स इंस्टीट्यूट कर रहा है। इसका संयोजन श्री किशोर लाबर ने किया है। प्रदर्शनी का उद्घाटन सोमवार, 1 सितम्बर 2025 को शाम 4:30 बजे हुआ और यह 13 सितम्बर 2025 तक प्रतिदिन सुबह 11 बजे से शाम 7 बजे तक दर्शकों के लिए खुली रहेगी।

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