रेलवे बोर्ड द्वारा जारी नई विज्ञापन नीति का हुआ विरोध

प्रकाशकों व पत्रकारों ने प्रधानमंत्री को सम्बोधित ज्ञापन डीएम को सौंपा

 

 

प्रयागराज।सोमवार को जर्नलिस्ट एवं पब्लिशर एसोसिएशन (जे.पी.ए.)व मीडिया मंच के पदाधिकारियों एवं सदस्यों ने सर्वप्रथम नवागंतुक डीएम प्रयागराज को बुके देकर उनका स्वागत किया । तत्पश्चात् रेल बोर्ड द्वारा लागू की गई नई विज्ञापन नीति को वापस लेने के सम्बन्ध में प्रधानमंत्री को सम्बोधित एक ज्ञापन डीएम प्रयागराज नवनीत सिंह चहल को सौंपा । ज्ञापन के माध्यम से प्रकाशकों व पत्रकारों ने यह मांग किया की इस जनविरोधी नीति को भारत सरकार तत्काल वापस ले कर पुरानी नीति को उसी तरह बहाल करें।
जेपीए अध्यक्ष अनुपम शुक्ला व सयोजक के के श्रीवास्तव के नेतृत्व में वरिष्ठ पत्रकार मुनेश्वर मिश्र के दिशा निर्देशन में डीएम को सौंपने गये इस ज्ञापन के दौरान काफ़ी संख्या में पत्रकार व प्रकाशक मौजूद रहें ।डीएम प्रयागराज नवनीत सिंह चहल ने ज्ञापन लेते हुए यह आश्वासन दिया कि इस ज्ञापन को हम प्रधानमंत्री को प्रेषित कर आप सबकी समस्याओं से अवगत कराएंगे।
ज्ञात हो कि दिनांक 31.08.2023 को रेल बोर्ड द्वारा जारी विज्ञापन नीति में व्यापक फेरबदल किया गया है। अभी तक रेलवे के 17 जोन अपने यहां से विज्ञापनों का सीधा प्रकाशन करवाते थे तथा रेलवे की खबरों को प्रमुखता से कवरेज के अनुसार छोटे व मझोले सभी समाचार पत्रों को विज्ञापन दिया जाता था जिसके कारण सब कुछ सुचारू रूप से चल रहा था। रेलवे बोर्ड द्वारा अचानक विज्ञापन नीति में परिवर्तन करते हुए विज्ञापन प्रसारित करवाने का अधिकार DAVP को दे दिया गया। DAVP विगत 3 वर्षों से छोटे व मझोले समाचार पत्रों को विज्ञापन ना के बराबर या नहीं दे रह है। डीएवीपी में दलालों का बोलबाला व्यापक तौर पर है। रेलवे से मिलने वाले विज्ञापनों की आय से देश में हजारों समाचार पत्र निकलते हैं तथा लाखों लोग इसमें कार्य करते हैं जिससे वह अपने परिवार तथा कर्मचारियों का भरण पोषण करते हैं रेलवे की उक्त नीति लागू हो जाने से करोड़ों लोग भुखमरी के कगार पर पहुँच जाएंगे व लाखों युवा बेरोजगार हो जाएंगे इससे सरकार की छवि पर सीधा असर पड़ेगा और विपक्ष को एक मुद्दा भी मिल जाएगा इस नीति को लागू करने में रेलवे का भी कोई हित दूर तक नहीं दिखाई देता ।
ज्ञापन के माध्यम से अखबार मालिकों व पत्रकारों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से यह मांग किया कि प्रधानमंत्री जी रेलवे बोर्ड के नई जन व सरकार विरोधी विज्ञापन नीति को वापस लेने व पुरानी नीति को लागू करने का कष्ट करें, तथा डीएवीपी को छोटे व मझोले समाचार पत्रों को भी विज्ञापन देने के लिए एवं सरकार की नीति के मुताबिक “जिसकी जितनी भागीदारी उसकी उतनी हिस्सेदारी” के तहत पुरानी नीति को बदलने जिसमें बिग 50% मीडियम 35% तथा स्मॉल 15% विज्ञापन देने की नीति को लागू करने का प्रावधान है। देश में 70% छोटे व मझोले समाचार पत्र हैं जिसे संख्या बल के आधार पर विज्ञापन बजट का 50 % छोटे समाचार पत्रों के आवंटन का आदेश देने की कृपा करें। लाखों परिवार आपका आभारी रहेगा ।
ज्ञापन देने वालों में प्रमुख रूप से मुनेश्वर मिश्रा, अनुपम शुक्ला, के.के. श्रीवास्तव, राकेश शर्मा, अनुराग त्रिपाठी ,कुन्दन श्रीवास्तव, अमरनाथ राय, कमलेश मिश्र, परवेज आलम, अमरदीप चौधरी, सुशील चौधरी,कमल श्रीवास्तव, धर्मेंद्र कुमार श्रीवास्तव,वैभव शंकर,डॉ सुधाकर पाण्डेय, जेपी श्रीवास्तव, शिवेश राय, सतीश कुमार गुप्ता , राजेश सिंह,सुधाकर पाण्डेय, राजेश कुमार गोस्वामी,उमेश श्रीवास्तव,अजित कुमार गुप्ता अखिलेश शुक्ला, मनोज कुमार , विमलेश मिश्रा, रघुबीर सिंह,गगन सिंह , अंकित चौरसिया,शैलेश यादव, विक्की गुप्ता,सोनू विशाल, रवि शुक्ला,धर्म यादव, संतोष चटर्जी,फारूख कुरैशी, सुधाकर नाथ आदि लोग मौजूद रहे।

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