यूपी से नदारद चल रहे केशव प्रसाद और योगी से मिलने आ रहे भागवत, क्या मायने?

बड़ी बात यह है कि भागवत की यह मुलाकात योगी से उस समय हो रही है जब डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य पिछले कई दिनों से यूपी से नदारद चल रहे हैं।

क्या यूपी बीजेपी में होने वाला है बड़ा फेरबदल?

उत्तर प्रदेश में इस बार बीजेपी का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा है, उसे 80 सीटों में से सिर्फ 33 सीटों पर ही जीत हासिल हो पाई। कई बड़े मंत्री भी चुनाव हार गए, ऐसे में सवाल तो उठ रहे हैं, यूपी बीजेपी पर, सीएम योगी आदित्यनाथ पर और उनके दूसरे साथियों पर भी। अब जब से बीजेपी को यूपी में इतना बड़ा झटका लगा है, एक और बड़ी सियासी घटना घटित हो चुकी है। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य उत्तर प्रदेश की राजनीति से नदारद चल रहे हैं। वे दिल्ली में कई दिनों से डेरा डालकर बैठे हैं।

मुलाकात शिष्टाचार वाली या राजनीति वाली?

अब इन घटनाक्रमों के बीच संघ प्रमुख मोहन भागवत उत्तर प्रदेश आ रहे हैं, वे सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात करने वाले हैं। इस मुलाकात को लेकर कई तरह की चर्चाएं की जा रही हैं, कोई इसे सिर्फ शिष्टाचार भेंट मान रहा है तो कोई इसे अलग सियाससी मायने भी निकाल रहा है। समझने वाली बात यह है कि चुनावी नतीजों के बाद से ही बीजेपी और संघ के रिश्तों में एक दरार देखने को मिली है। इस दरार में भी मोहन भागवत की तल्ख टिप्पणी ने भी कई दूसरी अटकलों को हवा देने का काम कर दिया है।

केशव प्रसाद मौर्य करेंगे खेल?

बड़ी बात यह है कि भागवत की यह मुलाकात योगी से उस समय हो रही है जब डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य पिछले कई दिनों से यूपी से नदारद चल रहे हैं, औपचारिक कारण जो भी बताए जा रहों, लेकिन सच्चाई यह है कि चुनावी नतीजों के बाद से ही मौर्य गायब हैं। उन्होंने अभी तक किसी भी बैठक में हिस्सा नहीं लिया है, हार की समीक्षा को लेकर भी योगी ने एक मीटिंग बुलाई थी, उसमें भी मौर्य नहीं आए।

मौर्य की महत्वकांक्षा और योगी पर दबाव

अब यह कोई नहीं भूल सकता कि मौर्य और सीएम योगी के रिश्ते समय-समय पर तल्ख भी रहे हैं। केशव प्रसाद मौर्य की मुख्यमंत्री बनने की चाह भी जगजाहिर हो चुकी है, इस बार तो क्योंकि यूपी में प्रदर्शन भी खराब रहा है, ऐसे में सीएम योगी पर हाईकमान की तरफ से ज्यादा दबाव है। उस दबाव के बीच दिल्ली में बीजेपी नेताओं से लगातार केशव प्रसाद मौर्य संपर्क साध रहे हैं। ऐसी खबर है कि एक बार फिर मौर्य को यूपी बीजेपी का अध्यक्ष बनाया जा सकता है, या फिर कोई अहम मंत्रालय भी यूपी सरकार में उन्हें मिल सकता है।

भागवत की टाइमिंग पर क्यों उठे सवाल

वही भागवत की मुलाकात की बात करें तो उसकी टाइमिंग भी कमाल है। कुछ दिन पहले तक मोहन भागवत ने बिना नाम लिए पीएम मोदी को लेकर कह दिया था कि इंसान को अंहकार नहीं करना चाहिए। उस बयान के बाद इंद्रेश कुमार ने भी भगवान राम का जिक्र कर बोल दिया था कि अहंकार करने वाली पार्टी को 241 सीटों पर रोक दिया गया। उन बयानों में एक नाराजगी साफ नजर आ रही थी, अब उस बीच योगी से होने वाली मुलाकात अहम बन जाती है।

यूपी में संघ क्या करना चाहती है?

संभावनाएं जताई जा रही हैं कि उस मुलाकात के दौरान यूपी में हुए निराशाजनक प्रदर्शन पर मंथन किया जा सकता है, वहां भी अयोध्या में मिली अप्रत्याशित हार को लेकर तो और ज्यादा बातचीत हो सकती है। इसके ऊपर यूपी में संघ का कैसे विस्तार किया जाए, इस पर भी बातचीत संभव है।

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