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एनसीजेडसीसी राष्ट्रीय शिल्प मेला में दूसरे दिन उमड़ी भीड़

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बिहू, राई, फाग और सूफियाना सुरों से सजी शिल्प मेले की शाम

प्रयागराज। भारतीय संस्कृति की बहुरंगी छटा से सजी राष्ट्रीय शिल्प मेला 2025 की दूसरी शाम लोकनृत्यों और सुरों की मधुर धुनों को समर्पित रही। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र द्वारा शिल्प हाट परिसर में आयोजित इस सांस्कृतिक संध्या ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम की शुरुआत भजन से हुई। भजन गायक मनोज कुमार ने भक्ति रस से पंडाल को सराबोर कर दिया उन्होंने “फिर कौन बिगाड़ेगा जब राम सहारा दो”, “बोलो राम बोलो जय सिया राम”, “नमो-नमो”, “होली खेले मसाने में” और “बम-बम बोल रहा है काशी” से की, जिस पर दर्शकों ने खूब तालियाँ बजाईं। इसके बाद सूफी गायक रोशन पाण्डेय की प्रस्तुति ने महफ़िल को सूफियाना रंग से रंग दिया। उन्होंने “एक राधा एक मीरा…”, “तू माने या ना माने दिलदारा”, “छाप तिलक” और “दमादम मस्त कलंदर” जैसे लोकप्रिय गीतों से समां बाँध दिया। सांस्कृतिक विविधता की कड़ी को आगे बढ़ाते हुए उर्वशी जेटली एवं दल ने गंगा अवतरण पर आधारित नृत्य-नाटिका प्रस्तुत कर दर्शकों को भावुक कर दिया।
असम से आई स्वागता शर्मा एवं दल ने पारंपरिक बिहू नृत्य के माध्यम से पूर्वोत्तर की लोक-संस्कृति की सुगंध बिखेरी। वहीं मध्य प्रदेश से आए जुगल किशोर एवं उनकी टीम ने रंग-बिरंगे परिधानों में बधाई और नौरता नृत्य प्रस्तुत किया, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा।
हरियाणा से आए प्रदीप कुमार बमनी और साथी कलाकारों ने फाग गीतों पर आधारित फाग और पनिहारी नृत्य के माध्यम से देवर-भाभी की हंसी-ठिठोली को मंच पर जीवंत किया।
झांसी से आई राधा प्रजापति एवं दल ने बुंदेलखंड के लोकप्रिय राई नृत्य की प्रस्तुति देकर दर्शकों की खूब वाहवाही लूटी।तमिलनाडु से आए कलाकारों ने आकर्षक डमी हॉर्स नृत्य प्रस्तुत कर शाम में दक्षिण भारत का खास रंग घोला।
सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के इस महापर्व का शुभारंभ न्यायमूर्ति गौतम चौधरी (इलाहाबाद हाईकोर्ट) एवं कार्यक्रम सलाहकार कल्पना सहाय द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। इस अवसर पर सहायक कार्यक्रम अधिशाषी मधुकांत मिश्रा ने मुख्य अतिथि को पुष्पगुच्छ और अंगवस्त्र भेंट कर सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन संजय पुरषार्थी ने किया।

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