दमदारी के साथ, आपकी बात

देवचंद्र सभागार कीटगंज मे कथाकार मुंशी प्रेमचंद के जन्मदिवस पर उनकी कहानी “शुभागी” का एकल नाट्य मंचन किया गया।

22

- Advertisement -

प्रयागराज शाश्वत रंग मंडल द्वारा मुंशी प्रेमचंद की जयंती की पूर्व संध्या पर दिनांक 30.7.2025 को समय 4:30 बजे देवचंद्र सभागार कीटगंज मे कथाकार मुंशी प्रेमचंद के जन्मदिवस पर उनकी कहानी “शुभागी” का एकल नाट्य मंचन किया गया।
इसका निर्देशन ऋतंधरा मिश्रा ने किया। यह नाटक स्त्री के स्वाभिमान, संघर्ष और त्याग की कहानी है।
मुंशी प्रेमचंद की “शुभागी” एक सामाजिक संवेदना से भरी हुई कहानी है, जिसमें ग्रामीण जीवन की कठोर सच्चाइयों, स्त्री-जीवन की पीड़ा, तथा सामाजिक विसंगतियों का यथार्थ चित्रण है। यह कहानी स्त्री-विमर्श, दरिद्रता, शोषण और पुरुष-प्रधान समाज के अन्यायपूर्ण रवैये को उजागर करती है।
कहानी की नायिका शुभागी एक गरीब किसान की पत्नी है। उसका पति बहुत बीमार है और कमाई का कोई साधन नहीं बचा है। घर में भुखमरी की स्थिति है। बीमारी के इलाज के लिए पैसे नहीं हैं। ऐसे में शुभागी अपने पति को बचाने के लिए साहूकार के पास मदद मांगने जाती है। लेकिन साहूकार उसके सौंदर्य पर आसक्त होकर पैसे देने के बदले उसकी इज्जत से समझौता करने का प्रस्ताव रखता है।
शुभागी इस प्रस्ताव से आहत होती है पर पति को बचाने के लिए उसे अपने सत्व और आत्मसम्मान की बलि देनी पड़ती है। जब वह साहूकार से पैसे लेकर लौटती है तो उसका पति उसे अपवित्र समझता है। वह यह जानकर कि पैसे कहां से आए हैं, उसे तिरस्कृत करता है और साथ छोड़ देता है।
शुभागी अकेली रह जाती है। समाज भी उसे दोषी ठहराता है, जबकि उसने त्याग और प्रेम की चरम सीमा को छुआ था। कहानी में प्रेमचंद ने दिखाया है कि समाज त्याग और समर्पण की पीड़ा को नहीं समझता, वह सिर्फ दिखावे और नियमों के आधार पर न्याय करता है।
स्त्री जीवन की त्रासदी और त्याग की मार्मिक झलक।
गरीबी किस तरह से इंसान को विवश कर देती है।
पुरुष-प्रधान समाज की कठोरता और स्त्री की आत्मबलि।
प्रेमचंद ने शुभागी के माध्यम से दिखाया कि असली अपराधी कौन है ? मजबूरी, समाज या स्त्री?
“शुभागी” केवल एक कहानी नहीं, बल्कि एक जिंदा प्रश्न है समाज की नैतिकता पर, जहां बलिदान की कोई कीमत नहीं, और इज्जत हमेशा स्त्री की ही होती है। प्रेमचंद ने इस मार्मिक कथा में समाज की दोहरी मानसिकता पर करारा प्रहार किया है।
परिधान एवं मंच परिकल्पना प्रतिभा का नाटक में शुभागी की भूमिका अनुष्का कुशवाहा. ने बेहतरीन भूमिका निभाई ,संगीत संचालन       साधना,प्रकाशसंचालन
सुमित,वस्त्र विन्यास प्रतिभा रूप सज्जा वन्दना
मंच सज्जा अनुष्का
पूर्वाभ्यास प्रभारी ऋषा
फोटो वीडियोग्राफी वंश
प्रसार प्रचार  श्रेयांश
संगीत परिकल्पना एवं निर्देशन ऋतंधरा मिश्रा

Leave A Reply

Your email address will not be published.