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NCERT: कांग्रेस नेता जयराम रमेश का एनसीईआरटी पर बड़ा आरोप, कहा- आरएसएस के मिलकर संविधान पर कर रही हमला

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कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एनसीईआरटी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि वे आरएसएस से संबद्ध संस्था के रूप में काम कर संविधान पर हमला कर रही है। बता दें कि एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों के संशोधन को लेकर विवाद चल रहा है।

NCERT: Congress leader Jairam Ramesh made allegation on NCERT, said- it’s attacking constitution along wid RSS

विस्तार

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् (एनसीईआरटी) ने पाठ्यपुस्तकों में कुछ बदलाव किया है। इसके बाद से ही वे लगातार विवादों में घिरे हुए हैं। एनसीईआरटी की नई किताबें बाजार में आई हैं। इनमें कक्षा 12 की राजनीति विज्ञान की किताब में बाबरी मस्जिद का जिक्र नहीं है और इसे तीन गुंबद ढांचा बताया गया है। साथ ही अयोध्या के बारे में जो पहले चार पेज का पाठ था, अब उसे घटाकर दो पेज का कर दिया गया है और कई जानकारियां हटा दी गई हैं। यह अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आधारित है, जिससे राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ हुआ।

इसके बाद सोमवार को कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि यह संस्थान 2014 से आरएसएस से संबद्ध संस्था के रूप में काम कर रही है और संविधान पर हमला कर रही है। उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा कि राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी ने नीट 2024 में ‘ग्रेस मार्क्स’ की गड़बड़ी के लिए एनसीईआरटी को दोषी ठहराया है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह केवल एनटीए की अपनी विफलताओं से ध्यान हटा रहा है। “हालांकि यह सच है कि एनसीईआरटी अब एक पेशेवर संस्था नहीं रही। यह 2014 से आरएसएस से संबद्ध संस्था के रूप में काम कर रही है।

धर्म निरपेक्षता की आलोचना कर रही 11 वीं की राजनीति विज्ञान की किताब
कांग्रेस नेता ने कहा कि इसकी संशोधित कक्षा 11 की राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक धर्मनिरपेक्षता के विचार की आलोचना करती है और साथ ही इस संबंध में राजनीतिक दलों की नीतियों की भी आलोचना करती है। कांग्रेस नेता ने कहा, “एनसीईआरटी का उद्देश्य पाठ्यपुस्तकें तैयार करना है, न कि राजनीतिक पर्चे और प्रचार करना।” “एनसीईआरटी हमारे देश के संविधान पर हमला कर रही है, जिसकी प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्षता स्पष्ट रूप से भारतीय गणतंत्र के आधारभूत स्तंभ के रूप में मौजूद है। उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न निर्णयों में स्पष्ट रूप से धर्मनिरपेक्षता को संविधान के मूल ढांचे का एक अनिवार्य हिस्सा माना गया है।”

एनसीईआरटी याद रखे अपना वजूद
जयराम रमेश ने आरोप लगाते हुए कहा कि एनसीईआरटी को खुद को याद दिलाने की जरूरत है कि यह राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद है, “नागपुर या नरेंद्र शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद नहीं।” उन्होंने आरोप लगाया कि “इसकी सभी पाठ्यपुस्तकों की गुणवत्ता संदिग्ध है।, जो स्कूल में मुझे आकार देने वाली पुस्तकों से बहुत अलग हैं।”

टीएमसी नेता ने भी साधा एनसीईआरटी पर निशाना
टीएमसी नेता साकेत गोखले ने भी एनसीईआरटी पर निशाना साधते हुए कहा, “बेशर्म एनडीए 1.0 सरकार” छात्रों से “असुविधाजनक तथ्य” छिपा रही है। उन्होंने कहा, ” यह तर्क दिया जा रहा है कि बच्चों को विश्व युद्ध जैसी अन्य ‘हिंसक निराशाजनक चीजों’ के बारे में क्यों पढ़ाया जाए?” क्या भाजपा और पीएम मोदी को अपराधियों और दंगाइयों के रूप में अपने इतिहास पर शर्म आती है? उन्होंने पूछा, “छात्रों से सच्चाई क्यों छिपाई जाए?”

एनसीईआरटी निदेशक ने खारिज किए थे आरोप
एनसीईआरटी के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी ने कहा कि पाठ्यपुस्तकों में बदलाव वार्षिक संशोधन का हिस्सा हैं और इस पर शोर-शराबा नहीं होना चाहिए।  संख्या पर लगाए जा रहे स्कूली पाठ्यक्रमों के भगवाकरण के आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि गुजरात दंगों और बाबरी मस्जिद विध्वंस के संदर्भों को स्कूली पाठ्यपुस्तकों में संशोधित किया गया है। क्योंकि दंगों के बारे में पढ़ाने से बच्चों में “हिंसक और उदास नागरिक पैदा हो सकते हैं।”  पाठ्यपुस्तकों में बदलाव वार्षिक संशोधन का हिस्सा हैं और इस पर शोर-शराबा नहीं होना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि “हमें स्कूली पाठ्यपुस्तकों में दंगों के बारे में क्यों पढ़ाना चाहिए? हम सकारात्मक नागरिक बनाना चाहते हैं, न कि हिंसक और उदास व्यक्ति।” उन्होंने कहा, “क्या हमें अपने छात्रों को इस तरह से पढ़ाना चाहिए कि वे आक्रामक हो जाएं, समाज में नफरत पैदा करें या नफरत का शिकार बनें? क्या यही शिक्षा का उद्देश्य है? क्या हमें इतने छोटे बच्चों को दंगों के बारे में पढ़ाना चाहिए। जब वे बड़े होंगे, तो वे इसके बारे में जान सकते हैं, लेकिन स्कूली पाठ्यपुस्तकों में क्यों? उन्हें बड़े होने पर यह समझने दें कि क्या हुआ और क्यों हुआ। बदलावों के बारे में शोर-शराबा अप्रासंगिक है।”

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