विज्ञान शिक्षकों की एक दिवसीय कार्यशाला संपन्न
जिसमें जनपद के तीस विद्यालयों के पचास शिक्षकों ने प्रतिभाग किया
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प्रयागराज। राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौधोगिकी संचार परिषद, विज्ञान एवं प्रौधोगिकी विभाग, भारत सरकार के तत्वावधान में प्रत्येक वर्ष आयोजित होने वाले राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस में बाल वैज्ञानिकों की सहभागिता के लिए उनके मार्गदर्शन हेतु सी.बी.एस.ई. विद्यालयों के विज्ञान शिक्षकों की दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन टैगोर पब्लिक स्कूल में संपन्न हुआ. जिसमें जनपद के तीस विद्यालयों के पचास शिक्षकों ने प्रतिभाग किया .
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सी.एम.पी. महाविद्यालय के रसायन शास्त्र विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर *डॉ. संतोष श्रीवास्तव* ने अपने व्याखान में शिक्षकों को प्रोजेक्ट के विषय चयन पर जोर दिया. उन्होंने कहा की शिक्षकों को अपने विद्यार्थियों में विज्ञान के प्रति रुचि उत्पन्न करने के लिए उन्हें स्वतंत्र रुप से कार्य करने एवं लघु शोध के लिए स्वयं विषय चयन की स्वतंत्रता देनी चाहिए. जिससे उनमें नैशर्गिक वैज्ञानिक प्रतिभा का विकास करने में सहायता मिलेगी. कुलभाष्कर आश्रम कृषि महाविद्यालय की *प्रो. आभा त्रिपाठी* ने बाल वैज्ञानिकों में वैज्ञानिक सोच विकसित करने के लिए उनको विज्ञान की छोटी-छोटी गतिविधियों से जोड़ने पर बल दिया. राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस के जिला समन्यवक *डॉ. मो. मसूद* ने कार्यशाला के उद्देश्य पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा की इस परियोजना को अमली जामा पहनाने मे विज्ञान शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका को नकारा नहीं जा सकता.
कार्यक्रम के प्रारंभ में *टैगोर पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्या अर्चना तिवारी* ने उपस्थित अतिथियों एवं शिक्षकों का स्वागत करते हुए बताया की विद्यार्थियों में विज्ञान के प्रति रुचि उत्पन्न करके अपनी वैज्ञानिक प्रतिभा का प्रदर्शन करने के लिए उद्देश्य से केंद्र सरकार द्वारा हर वर्ष आयोजित होने वाली राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस एक अनूठी पहल है। जो न केवल विद्यार्थियों में विज्ञान के प्रति अभिरुचि को बढ़ावा देता है, अपितु उनको अपना सर्वांगीण विकास का भी एक मौका देता है। विज्ञान एक सतत् सीखने की प्रक्रिया है। जिसका अनुपालन हम सब शिक्षक के रूप में जीवन भर करते हैं।
*जिला सह-समन्यवक एवं टैगोर पब्लिक स्कूल के वरिष्ठ रसायन शास्त्र प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव* ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया की एक निर्णायक के रुप में हमारी भूमिका इसलिए महत्वपूर्ण हो जाती है की हम बाल वैज्ञानिकों द्वारा प्रस्तुत शोध पत्रों में से उनका ही चयन करें, जो नवाचार से युक्त हों और विद्यार्थियों के आसपास की समस्याओं के समाधान के साथ प्रस्तुत किये गए हों।
कार्यक्रम का संचालन अर्पणा वहल ने और संयोजन व धन्यवाद ज्ञापन संजय श्रीवास्तव ने किया.
इस अवसर पर डॉ. आयशा मारिया, स्वेता सक्सेना, मनीला ऋषि चोपड़ा, नितिन शर्मा एवं जलज जयसवाल आदि उपस्थित थे।
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