रामलीला की राधेश्यामी शैली ने मोहा दर्शकों का मन
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19 अक्टूबर को होगा मेले का समापन
तालमेल एक्सप्रेस
प्रयागराज। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित दीपावली शिल्प मेले की दसवीं शाम लोक-संस्कृति और भक्ति रस से सराबोर रही। शुक्रवार की सांस्कृतिक संध्या आदर्श लोक कला समिति, प्रयागराज के कलाकारों के नाम रही। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि अपराजिता सिंह, क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी, प्रयागराज तथा आलोक कुमार, पूर्व संपादक, दैनिक जागरण एवं विशिष्ट अतिथि मंजू शर्मा, चंडीगढ़, हाईकोर्ट ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। केंद्र निदेशक सुदेश शर्मा एवं कार्यक्रम सलाहकार कल्पना सहाय ने अतिथियों का पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत किया। कार्यक्रम की शुरुआत लोक गायक प्रेमचंद्र यादव की जोशीली बिरहा प्रस्तुति “असनवां बइठे दुल्हे रसिया” से हुई, जिसने दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। इसके बाद लोकगायिका ज्योति आनंद ने अपनी सुरीली आवाज़ में “हे री सखी मंगल गावो री”, “मेरी चौखट पे चलके राम आए”, “सत्यम शिवम सुंदरम” और “छाप तिलक सब छीनी रे” जैसे गीतों से पंडाल को भक्ति और आनंद से भर दिया। लोक गायक रोहित कुमार चौबे ने “गोरिया चाँद के अंगोरिया” और “जगदंबा घर पर दियना” जैसे लोकगीतों से शाम को और भी जीवंत बना दिया। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रहा आदर्श लोक कला समिति द्वारा प्रस्तुत“सीता स्वयंवर” कुँवर तेजभानु सिंह ‘प्रिंस’ ने परिकल्पना एवं निर्देशन किया था। कलाकारों ने पारंपरिक उत्तर प्रदेश की लोककला शैली रामलीला को राधेश्यामी ढंग में सजीव चित्रण किया। संवादों की स्वर-लयबद्ध प्रस्तुति और मानस की चौपाइयों की संगीतमय अभिव्यक्ति ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया। दर्शकों ने श्रीराम, लक्ष्मण और जनकपुरी के दरबार के दृश्य देखकर स्वयं को मानो त्रेतायुग में अनुभव किया। मंचन के दौरान हर पात्र की भावनाओं और गायकी ने भक्ति का ऐसा वातावरण रचा, कि पूरा प्रांगण “जय श्रीराम” के उद्घोष से गूंज उठा। हारमोनियम पर कुँवर तेजभानु सिंह, ढोलक पर रामराज पटेल एवं की-बोर्ड पर मनु मिश्रा ने साथ दिया। इस अवसर पर प्रदीप भटनागर, श्याम बिहारी गौड़, रामचंद्र श्रीमाली सहित काफ़ी संख्या में दर्शक मौजूद रहे
