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राजऋषि ने महाकुम्भ 2025 में दिया अद्वैत का सार्वभौमिक संदेश

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प्रयागराज, 24 जनवरी, 2025: डॉ बी.के.मोदी जिन्हेंसभी चारों शंकराचार्यों द्वारा राजऋषि की उपाधि से सम्मानित किया गया है, वे दूरदर्शी अरबपति, आध्यात्मिक सोच वाले विश्वस्तरीय नागरिक हैं। उन्हें आध्यात्मिक एवं मानवतावादी कार्यों के प्रति गहरी प्रतिबद्धता केलिए जाना जाता है। महाकुम्भ 2025 में उन्होंने आदिशंकराचार्य की शिक्षाओं और अद्वैत (एकता का दर्शन) के शाश्वत ज्ञान का संदेश दिया।
महाकुम्भ दुनिया के सबसे बड़े आयोजनों में से एक है, जो विभिन्न देशों, धर्मों, लिंगों के लोगों को आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक रूप से विविध ‘आस्था’ की अवधारणा के साथ एक जुट करता है। महाकुम्भ में ‘राजऋषि’ के साथ चार शंकराचार्य भी मौजूद रहे, जहां उन्होंने सभी प्राणियों के परस्पर संबंध परआदि शंकराचार्य के दृष्टिकोण पर रोशनी डाली, साझा-मानवता, वैश्विक शांति एवं सह-अस्तित्व का संदेश दिया।

डॉ राजऋषि के शब्दों में:
मेरे जीवन में, मैं ने हिंदु धर्म के चार आश्रमों के महत्व को समझा है, जो व्यक्तिगत, सामाजिक एवं आध्यात्मिक ज़िम्मेदारियों के साथ संतुलित एवं सार्थक जीवन का मार्ग दर्शन देते हैं। ब्रह्मचार्य, गृहस्थ और वानप्रस्थ की यात्रा तय करने के बाद मैंने अब सन्यास को अपना लिया है। जो आध्यात्मिक विकास एवं भीतरी जागृति के लिए महत्वपूर्ण चरण है, यह मार्ग ईश्वर केसाथ मेरे जुड़ाव को मजबूत बना रहा है और मुझे मुक्ति के मार्ग पर ध्यान केन्द्रित करने में मदद करता है।
इस महाकुम्भ में, मैंने आदिशंकराचार्य की शिक्षाओं को आगे बढ़ाने की यात्रा शुरू की है, जो अद्वैत के महान समर्थक हैं। राजऋषि के मार्ग का अनुसरण करते हुए, मैंने भीतरी आध्यात्मिक विकास केसाथ संतुलन बनाने का लक्ष्य तय किया है। जीवन का यह तरीका सफलता और आध्यात्मिकता को एक साथ लाता है, जो अपने और समाज की सेवा के लिए समर्पित है।
आदिशंकराचार्य की शिक्षाओं से प्रभावित, राजऋषि अद्वैत के प्राचीन ज्ञान को आधुनिक चुनौतियों के साथ जोड़ते हैं, एक ऐसे दृष्टिकोण को प्रेरित करते हैं जो धर्म, राष्ट्रीयता और लिंग के दायरे से परे सार्वभौमिक तालमेल, समावेशन को बढ़ावा देते हैं तथा भौतिक सफलता और आध्यात्मिक गहराई के बीच संतुलन बनाए रखते हैं।

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