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प्रयागराज के दशाश्वमेध घाट पर स्थापित हैं सृष्टि के प्रथम पूज्य श्री आदि गणेश

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पौराणिक मान्यता है कि ऊँकार स्वंय यहां श्री आदि गणेश रूप में मूर्तिमान होकर हुए थे स्थापित

ब्रह्मा जी ने श्री आदि गणेश के पूजन के बाद ही किया था सृष्टि का प्रथम यज्ञ

16वीं सदी में राजा टोडरमल ने कराई थी मूर्ति की पुनर्स्थापना और मंदिर का जीर्णोद्धार

महाकुम्भनगर, 20 दिसंबर। तीर्थराज प्रयागराज सनातन आस्था की प्रचीनतम नगरियों में से एक हैं। प्रयागराज में अति प्राचीन एवं विशिष्ट मान्यताओं के कई मंदिर है जिनका वर्णन वैदिक वांग्मय और पुराणों में आता है। उनमें से ही एक अति विशिष्ट मंदिर है दारागंज स्थित ऊँकार आदि गणेश भगवान का मंदिर। पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान गणेश जी ने सृष्टि में सर्वप्रथम प्रतिमा रूप यहां गंगा तट पर ही ग्रहण किया था। इस कारण ही इन्हें आदि गणेश कहा गया। यह सृष्टि के आदि व प्रथम गणेश है। मान्यता है इनके दर्शन और पूजन के बाद प्रारम्भ किया गया कार्य निर्विघ्न पूरा होता है। मंदिर में स्थापित श्री गणेश विग्रह के प्राचीनता के विषय में सही ढंग से कुछ नहीं कहा जा सकता, लेकिन मंदिर का जीर्णोद्धार 1585 ईस्वी में राजा टोडरमल ने करवाया था। महाकुम्भ-2025 के अवसर पर सीएम योगी के मार्गदर्शन में इस मंदिर का सौंदर्यीकरण हो रहा है।

ऊँकार स्वंय यहां श्री आदि गणेश रूप में मूर्तिमान होकर हुए थे स्थापित
तीर्थराज प्रयागराज को सृष्टिकर्ता भगवान ब्रह्मा की यज्ञ स्थली माना गया है। पौराणिक मान्यता के अनुसार ब्रह्मा जी ने सृष्टि का प्रथम यज्ञ प्रयागराज में किया था जिसके कारण यह क्षेत्र प्रयागराज के नाम से जाना जाता है। इसी पौराणिक कथा के अनुसार सर्वप्रथम इसी क्षेत्र में गंगा तट पर त्रिदेव, ब्रह्मा विष्णु और महेश के संयुक्त रूप ऊँकार ने आदि गणेश का मूर्ति रूप धारण किया था जिनके पूजन के बाद ब्रह्मा जी ने इस धरा पर दस अश्वमेध यज्ञ किये। यही कारण हा कि यह गंगा तट दशाश्वमेध घाट कहलाया तथा भगवान गणेश के इस विग्रह को आदि ऊँकार श्री गणेश कहा जाता है। मंदिर के पुजारी सुधांशु अग्रवाल का कहना है कि कल्याण पत्रिका के गणेश अंक में वर्णन है कि आदि कल्प के प्रारंभ में ऊँकार ने मूर्तिमान होकर गणेश जी का रूप धारण किया। उनके प्रथम पूजन के बाद ही सृष्टि सृजन का कार्य प्रारंभ हुआ। उन्होंने बताया कि शिव महापुराण के अनुसार भगवान शिव ने भी त्रिपुरासुर के वध के पहले आदि गणेश का पूजन किया था। आदि गणेश रूप में भगवान गणेश के विध्नहर्ता और विनायक दोनों रूपों का पूजन होता है।

16वीं सदी में राजा टोडरमल ने कराई थी मूर्ति की पुनर्स्थापना व मंदिर का जीर्णोद्धार
मंदिर के पुजारी सुधांशु अग्रवाल जी बताते हैं कि मंदिर में स्थापित गणेश प्रतिमा की प्राचीनता के विषय में स्पष्ट रूप से कुछ ज्ञात नहीं है। लेकिन, उनके पूर्वजों के दस्तावेज बताते हैं कि मंदिर का जीर्णोद्धार 1585 ईस्वी में अकबर के नवरत्न राजा टोडरमल ने करवाया था। जब 16वीं सदी में राजा टोडरमल, अकबर के महल का निर्माण करवा रहे थे। उसी कालखण्ड में उन्होंने श्री आदि गणेश जी की मूर्ति की गंगा तट पुनर्स्थापना करवायी और मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था । सुधांशु जी ने बताया कि श्री आदि गणेश का पूजन विशेष रूप से माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन होता है। इनके पूजन के बाद प्रारंभ किया गया कोई भी कार्य निर्विघ्न पूर्ण होता है। श्रद्धालु दूर-दूर से मान्यता पूरी होने पर विशेष पूजन के लिए भी आते हैं। महाकुम्भ 2025 के आयोजन में सीएम योगी के मार्गदर्शन में श्री आदि गणेश मंदिर को चित्रित और सौंदर्यीकृत करने का काम किया जा रहा है।

Omkar Adi Ganesh Temple in Daraganj undergoes beautification ahead of Mahakumbh 2025

Shri Adi Ganesh, the first revered deity of the universe, graces Dashashwamedh Ghat in Prayagraj

According to mythology, Omkar manifested here as Shri Adi Ganesh

The first yagya of creation by Brahma ji commenced only after worshipping Shri Adi Ganesh

In the 16th century, Raja Todarmal reinstalled the idol and renovated the temple

Mahakumbhnagar, December 20

As preparations for the grand Maha Kumbh 2025 in Prayagraj gain momentum, the Omkar Adi Ganesh Temple in Daraganj is set to shine brighter than ever. Under the visionary guidance of Chief Minister Yogi Adityanath, a comprehensive beautification project is underway to enhance the temple’s spiritual and aesthetic appeal.

Tirtharaj Prayagraj, one of the oldest cities rooted in Sanatan faith, is home to numerous temples of ancient and profound significance, as described in Vedic literature and Puranas. Among these, the Omkar Adi Ganesh Temple in Daraganj stands out for its unique historical and mythological significance. According to ancient beliefs, Lord Ganesh first took his idol form here on the banks of the Ganga, earning the title of Adi Ganesh, the “First Ganesh.”

It is believed that after worshiping and seeking blessings from Adi Ganesh, all tasks begin without obstacles. While the exact antiquity of the idol remains unknown, historical records indicate that Raja Todarmal renovated the temple in 1585 AD. As part of the Maha Kumbh-2025 preparations, the temple is being rejuvenated and beautified under the stewardship of CM Yogi, further enhancing its spiritual and historical significance.

Tirtharaj Prayagraj is revered as the yajna sthal of Lord Brahma, the creator. According to mythology, Brahma performed the first yajna of creation in Prayagraj, giving the region its name. The legend states that on the banks of the Ganga, Omkar, the unified form of the Tridev—Brahma, Vishnu, and Mahesh—manifested as Adi Ganesha. After worshiping Adi Ganesha, Brahma performed ten Ashvamedha Yagyas on this land, leading to the naming of the Ganga bank as Dashashwamedh Ghat and the idol of Lord Ganesha as Adi Omkar Shri Ganesha.

The temple priest, Sudhanshu Agarwal, shares that the Ganesh Ank of Kalyan magazine mentions that in the early days of ‘Adi Kalpa,’ Omkar incarnated as Ganesha. The creation of the universe commenced only after his initial worship.

He further explains that according to the Shiv Mahapuran, even Lord Shiva worshipped Adi Ganesha before vanquishing Tripurasur. In the form of Adi Ganesha, both aspects of Lord Ganesha—Vidhanharta (remover of obstacles) and Vinayak (the benevolent one)—are worshipped, embodying his eternal significance.

The temple priest, Sudhanshu Agarwal, shared that the exact antiquity of the Ganesha idol installed in the temple remains unclear. However, records preserved by his ancestors indicate that the temple was renovated in 1585 AD by Raja Todarmal, one of Emperor Akbar’s Navratnas. During the 16th century, while overseeing the construction of Akbar’s palace, Raja Todarmal reinstalled the idol of Shri Adi Ganesha on the banks of the Ganga and undertook the temple’s renovation.

Sudhanshu ji further explained that Shri Adi Ganesha is especially worshipped on the Chaturthi Tithi of Krishna Paksha in the month of Magh. It is believed that any task initiated after worshiping Adi Ganesha is completed without obstacles. Devotees from far and wide visit the temple for special prayers, particularly to offer gratitude when their wishes are fulfilled.

In preparation for Maha Kumbh 2025, the Shri Adi Ganesha Temple is undergoing painting and beautification work under the guidance of Chief Minister Yogi Adityanath, ensuring the temple’s grandeur matches the significance of this sacred event.

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