सोनिया गांधी को कांग्रेस संसदीय दल का अध्यक्ष चुन लिया गया है। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने संसद के सेंट्रल हॉल में पार्टी नेताओं की बैठक में सोनिया के नाम का प्रस्ताव रखा। गौरव गोगोई और तारिक अनवर ने इसका समर्थन किया।
इससे पहले कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की बैठक हुई। इसमें कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने का भी प्रस्ताव रखा गया है। सूत्रों के मुताबिक CWC बैठक में यह संकेत भी मिला है कि राहुल वायनाड सीट छोड़कर रायबरेली सीट अपने पास रखेंगे।
दैनिक भास्कर से बात करते हुए कांग्रेस महिला मोर्चा की अध्यक्ष अलका लांबा ने कहा, ‘भ्रष्टाचार के आरोप में केजरीवाल समेत बड़े नेताओं के जेल में होने और स्वाति मालीवाल से मारपीट की वजह से कांग्रेस पार्टी को गठबंधन से नुकसान हुआ। उन्होंने कहा कि पंजाब में हमने AAP के साथ गठबंधन नहीं किया, इसका हमें सीधा फायदा हुआ है।
CWC की मीटिंग 3 घंटे चली, राहुल को नेता प्रतिपक्ष बनाने की मांग
CWC की मीटिंग दिल्ली के अशोका होटल में करीब 3 घंटे चली। राहुल गांधी को लोकसभा में विपक्ष का नेता बनाने के लिए पार्टी सांसदों ने एक प्रस्ताव भी पारित किया। इस पर राहुल ने कहा, ‘मुझे सोचने का वक्त दीजिए।’ यह पद पिछले 10 साल से खाली है।
10 साल से नेता प्रतिपक्ष का पद खाली
लोकसभा में पिछले 10 साल से नेता प्रतिपक्ष का पद खाली है। 2014 में कांग्रेस को 44 सीटें और 2019 में 52 सीटें मिली थीं। भाजपा के बाद सबसे ज्यादा सीटें कांग्रेस को मिली थीं। फिर भी कांग्रेस को नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी नहीं मिली थी।
दरअसल, नेता प्रतिपक्ष के पद के लिए किसी भी पार्टी के पास लोकसभा की कुल सीटों का 10 प्रतिशत सीटें होना चाहिए। यानी 543 सीटों में से कांग्रेस को इसके लिए 54 सांसदों की जरूरत होती है। कांग्रेस ने इस बार अपने दम पर 99 सीटें हासिल की हैं।
2014 में विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी होने के बाद भी उस वक्त पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने नेता प्रतिपक्ष का दर्जा देने से इनकार कर दिया था। पिछली लोकसभा में कांग्रेस का प्रदर्शन थोड़ा बेहतर रहा, लेकिन तब भी 54 सीटें नहीं हुईं। अधीर रंजन चौधरी कांग्रेस के नेता बनाए गए, लेकिन नेता प्रतिपक्ष तब भी कोई नहीं हो सका।