अध्ययन केंद्रों के संचालन में समन्वयकों की भूमिका महत्वपूर्ण- सीमा सिंह
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प्रयागराज क्षेत्रीय केंद्र के समन्वयकों की कार्यशाला आयोजित
तालमेल एक्सप्रेस
प्रयागराज। मुक्त और दूरस्थ शिक्षा को उच्च शिक्षा से वंचित ग्रामीण अंचलों के शिक्षार्थियों के द्वार तक ले जाने में अध्ययन केंद्र बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। दूरस्थ शिक्षा द्वारा संचालित कार्यक्रमों की गुणवत्ता को बनाए रखकर जन जन तक मुक्त विश्वविद्यालय पहुंच रहा है। भारत सरकार ने मुक्त विश्वविद्यालय के शैक्षिक कार्यक्रमों के महत्व को परिभाषित करते हुए इसे पारंपरिक विश्वविद्यालयों के समकक्ष माना है। यह देश के सभी मुक्त विश्वविद्यालयों के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। यूजीसी ने दूरस्थ शिक्षा की गुणवत्ता पर मुहर लगा दी है।
उक्त वक्तव्य उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज की कुलपति प्रोफेसर सीमा सिंह ने शुक्रवार को प्रयागराज क्षेत्रीय केंद्र से संबंधित अध्ययन केंद्रों के समन्वयकों की कार्यशाला में दिए। कुलपति प्रोफेसर सीमा सिंह ने कहा कि कोरोना काल में मुक्त विश्वविद्यालयों द्वारा ऑनलाइन एजुकेशन के माध्यम से शिक्षार्थियों को घर बैठे गुणवत्ता युक्त शिक्षा उपलब्ध कराने के एवज में यूजीसी ने मुक्त विश्वविद्यालयों को नवाज़ा है। वास्तव में कोरोना काल में ही ऑनलाइन शिक्षा के युग का सूत्रपात हुआ। जब जिंदगी थम सी गई थी और लोग घरों में कैद हो गए थे। ऐसे में मुक्त विश्वविद्यालयों ने दूरस्थ शिक्षा प्रणाली के माध्यम से जन जन तक ऑनलाइन शिक्षा प्रदान की। जिसे न केवल भारत सरकार ने सराहा बल्कि विगत दिनों यूजीसी ने मुक्त विश्वविद्यालय की महत्ता को स्पष्ट करते हुए इसे पारंपरिक विश्वविद्यालयों की डिग्री के समकक्ष भी करार दिया है। प्रोफेसर सीमा सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय को उत्कृष्ट बनाने के लिए अध्ययन केंद्रों की भूमिका अति महत्वपूर्ण होती है। अध्ययन केंद्र विश्वविद्यालय एवं शिक्षार्थियों के मध्य महत्वपूर्ण कड़ी होते हैं, जो विभिन्न प्रकार की समस्याओं का प्राथमिक स्तर पर त्वरित समाधान करते हैं। समन्वयकों का यह दायित्व है कि वे उच्च शिक्षा के प्रसार के साथ ही साथ शैक्षिक गुणवत्ता के सतत सुधार एवं परिमार्जन की भूमिका निभाएं।
प्रोफेसर सीमा सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा चलाये जा रहे रोजगार परक डिग्री और डिप्लोमा कार्यक्रमों की लोकप्रियता सबसे अधिक है। विश्वविद्यालय ऐसे सभी कार्यक्रमों का सतत मूल्यांकन करवा रहा है। जिससे समय के साथ इसे सभी उम्र एवं वर्ग के लोगों के लिए उपयोगी बनाया जा सके।
प्रोफेसर सीमा सिंह ने कहा कि हाल के वर्षों में विश्वविद्यालय की लोकप्रियता में उछाल आया है। विश्वविद्यालय में ऑनलाइन प्रवेश के साथ ही छात्र-छात्राओं के घर पर पाठ्य सामग्री भेज दी जाती है। विश्वविद्यालय के विभिन्न कार्यक्रमों के असाइनमेंट ऑनलाइन कर दिए गए हैं । प्रमाणपत्र डिप्लोमा एवं पीजी डिप्लोमा से असाइनमेंट समाप्त कर दिए गए हैं। स्नातक एवं स्नातकोत्तर कार्यक्रम के असाइनमेंट छात्र घर पर ही बैठ कर पूरा करता है और उसे अपने अध्ययन केंद्र पर जमा करता है। इसके उपरांत उसे परीक्षा में बैठने का अवसर प्रदान किया जाता है। विश्वविद्यालय की लचीली व्यवस्था के अंतर्गत परामर्श कक्षाओं में छात्र काउंसलर से अपनी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त कर सकता है। सूचना प्रौद्योगिकी के इस युग में विश्वविद्यालय ने छात्रों की ऑनलाइन काउंसलिंग की भी व्यवस्था की है। इसके साथ ही विभिन्न शैक्षिक कार्यक्रमों के वीडियो लेक्चर विश्वविद्यालय के यूट्यूब पेज पर ऑनलाइन हैं। जिन्हें देखकर प्रतियोगी छात्र भी भरपूर लाभ उठा रहे हैं।
प्रोफेसर सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय ओपन एजुकेशनल रिपोजिटरी (ओ. आई. आर.) की स्थापना की दिशा में प्रयास कर रहा है। जिसके अंतर्गत विद्या शाखाएं पाठ्यक्रमों की शैक्षणिक सामग्री को ऑनलाइन स्वरूप में शिक्षार्थियों को उपलब्ध कराएंगी। इसके अंतर्गत शिक्षकों को ओ. आई. आर. तैयार करने की ट्रेनिंग दी जा रही है।
प्रोफेसर सिंह ने कहा कि शिक्षकों को नवाचार एवं शोध कार्यों को बढ़ावा देने के लिए पॉलिसी फॉर प्रमोशन ऑफ रिसर्च के अंतर्गत वित्तीय सहायता दी जा रही है। नवाचार के अंतर्गत शिक्षार्थियों को लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम (एल.एम. एस.) के माध्यम से पाठ्यक्रम परामर्श अध्ययन सामग्री इत्यादि को देने की व्यवस्था की दिशा में प्रयास किया जा रहा है। विश्वविद्यालय स्माइल योजना के अंतर्गत (स्कीम टू मार्जिनलाइज्ड इनडिवाइड्यूल फॉर लर्निंग एंड अर्निंग) कोविड काल में अपने माता पिता को खो चुके बच्चों, किन्नरों, जेल बंदियों, देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले भारतीय सेना एवं अर्धसैनिक बलों के शहीद जवानों के आश्रितों को प्रवेश शुल्क में छूट दिए जाने का निर्णय लिया गया है। इसके साथ ही विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गए गांव की महिलाओं को प्रवेश शुल्क में 50% की छूट प्रदान की जा रही है।
कुलपति प्रोफेसर सिंह ने कहा कि ओ. ई. आर., एल. एम. एस. और यूट्यूब चैनल सहित समस्त आनलाइन गतिविधियों को एक छतरी के नीचे लाने के लिए सेंटर फॉर ऑनलाइन एजुकेशन की स्थापना की गई है। जिसका उद्घाटन शीघ्र राज्यपाल द्वारा किया जाएगा।
कुलपति प्रोफेसर सीमा सिंह ने कहा कि दूरस्थ शिक्षा प्रणाली में गुणात्मक विस्तार की संभावनाएं अभी भी बनी हुई हैं। इसीलिए दूरस्थ शिक्षा के विकास, नवीनीकरण और उभरती चुनौतियों का सामना करने के लिए सतत अनुसंधान चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमें न केवल दूरस्थ शिक्षा पद्धति को सर्व सुलभ बनाना है बल्कि दूरस्थ शिक्षा के समुपयुक्त साधनों से शिक्षार्थी केंद्रित गुणवत्तापरक मूल्य आधारित शिक्षा भी प्रदान करनी है।
उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के तीव्र विस्तार ने विभिन्न सांस्कृतिक और सामाजिक समूहों के शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा करने की आशाएं एवं आकांक्षाएं बढ़ा दी हैं।
प्रोफेसर सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज नवाचार और स्टार्टअप के पोषण के लिए एक मजबूत एजुकेशनल इको सिस्टम का निर्माण कर रहा है जो सतत आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा। इससे रोजगार के नए अवसर निकलेंगे और युवाओं में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी। निर्यात को बढ़ावा मिलेगा तथा फोकल एवं लोकल की विचारधारा समृद्ध होगी।

विश्वविद्यालय प्रयागराज क्षेत्रीय केंद्र के माध्यम से छात्रों एवं स्थानीय लोगों के समृद्ध विचारों को पोषित करेगा। साथ ही उनकी समस्याओं के समाधान का प्रयास करेगा।
प्रारंभ में कुलपति प्रो सिंह का स्वागत क्षेत्रीय केंद्र के प्रभारी निदेशक प्रोफेसर जी. एस. शुक्ल ने किया। अवसर पर पाठ्य सामग्री प्रभारी प्रोफेसर एस. कुमार, प्रवेश प्रभारी डॉ ज्ञान प्रकाश यादव, सह प्रभारी परामर्श प्रकोष्ठ डॉ सतीश चंद्र जैसल, प्रोग्रामर, परीक्षा विभाग सीमा सिंह एवं लेखाकार, वित्त विभाग श्री अवनीश चंद्र आदि ने समन्वयकों की जिज्ञासाओं का समाधान किया। डॉ देवेश रंजन त्रिपाठी ने संचालन तथा डॉ दिनेश सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर प्रयागराज क्षेत्रीय केंद्र से संबद्ध 90 अध्ययन केंद्रों के समन्वयक एवं प्राचार्य आदि उपस्थित रहे।
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